कार्य में तेजी से खिलखिलाई हिरण्यवती
कुशीनगर : जागरण द्वारा चलाए गए तलाश तालाबों की अभियान से प्रभावित होकर डीएम शंभु कुमार ने फावड़ा
कुशीनगर : जागरण द्वारा चलाए गए तलाश तालाबों की
अभियान से प्रभावित होकर डीएम शंभु कुमार ने फावड़ा चलाकर बुद्ध कालीन
हिरण्यवती नदी के जीर्णोद्धार का शुभारंभ किया, तो कार्य में तेजी आई। अब खरपतवार से पटी ऐतिहासिक नदी अब कुशीनगर के आसपास साफ होकर खिलखिलाने लगी है। बुद्ध काल में यह नदी विशाल स्वरूप में थी। भगवान बुद्ध
ने नदी का पवित्र जल ग्रहण कर निर्वाण को प्राप्त किया था। आगे चलकर
प्राकृतिक असंतुलन तथा उपेक्षा के चलते नदी का स्वरूप बिगड़ा और अपने
अस्तित्व के लिए जूझने लगी। इस बीच जागरण ने तलाश तालाबों की अभियान छेड़ा
तो डीएम ने 23 मई को इस ऐतिहासिक नदी के जीर्णोद्धार का संकल्प दोहराते हुए
न सिर्फ कार्य शुभारंभ किया, बल्कि इसके प्रति लगातार नजर भी रखे हुए है।
कुशीनगर के दोनों तरफ 3 किलो मीटर के दायरे में तेजी से सफाई कार्य चल रहा
है। अब नदी का स्वरूप दिखने लगा है।
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कहते हैं बुद्धजीवी
-पी. सोंगक्रानथाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री के इंचार्ज पी. सोंगक्रान
ने कहा कि प्रशासन का कदम सराहनीय है। ऐतिहासिक नदी अपने अस्तित्व को जूझ
रही थी। डीएम की पहल ने संजीवनी का कार्य किया है।
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भंते महेंद्र ने कहा कि ऐतिहासिक नदी की सफाई स्वागत योग्य है। इसमें नगर का
गंदा पानी न बहे, इसका इंतजाम करना चाहिए।
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विरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि हिरण्यवती के पुनर्जीवित हो जाने से
बौद्ध धर्म के सभी विचार धाराओं का एकीकरण होगा। इस कार्य को विश्व में
सराहा जाएगा।
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श्रीलंका-जापान बुद्ध विहार के सहायक प्रबंधक भंते समित ने कहा कि हिरण्यवती नदी अपने
अस्तित्व के लिए जूझ रही थी। नदी के पुनर्जीवन से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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अतिक्रमण से खतरे में पोखरे का अस्तित्व
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कुशीनगर : तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत महुंअवा देवरिया की पहचान गांव के चारों तरफ फैले विशाल तालाबों से हुआ करती थी। इन तालाबों में मछली पालन से लेकर गांव के बच्चों द्वारा तैराकी व ¨सचाई का काम लोग करते थे, लेकिन समय के साथ-साथ इन पोखरों का अस्तित्व भी अतिक्रमण से सिकुड़ता गया। कभी इन पोखरों के आसपास के आबादी लोगों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत हुआ करता था, लेकिन अतिक्रमण का यह हाल है कि इन पोखरों को पाट कर लोग अपना आशियाना बना लिए है। इस ग्राम सभा का सबसे चर्चित पोखरा बगहा की स्थिति तो अति दयनीय है। पोखरा इतना गहरा व बड़ा था कि इसमें हाथियों को नहलाया जाता था, ¨कतु अब यह सिकुड़ कर एक एकड़ पांच डिस्मिल का तालाब महज दस कट्ठे में सिमट कर रहा गया है। चारों ओर अतिक्रमण कर पक्का मकान आदि बना लिया गया है। प्रशासन की उदासीनता से अतिक्रमण कारियों का हौसला बुलंद हो गया।
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क्या कहते है ग्रामीण
-गांव के बुजुर्ग 90 वर्षीय राजदेव तिवारी कहते हैं कि उनके समय में इस पोखरे में तैरने की होड़ लगती थी, यह इतना गहरा व चौड़ा था कि इसके गहराई का कोई पैमाना नहीं था, लेकिन होश में ही पोखरे का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। प्रधान प्रतिनिधि रियाजुद्दीन उर्फ मुन्ना अंसारी ने बताया कि इस पोखरे के बारे में अपनी बुजुर्ग से बहुत कहानियां सुनी है, लेकिन अतिक्रमण ने इसका बुरा हाल किया है। गांव की साठ वर्षीय महिला कलावती कहती है कि इस पोखरे को अतिक्रमण करने के लिए होड़ सी लगी हुई है, ग्रामीणों की लेकिन प्रशासन मौन है। शिक्षक योगेश तिवारी का कहना है कि यह ऐतिहासिक पोखरा है। इस गांव की कई पीढि़यां पोखरे की यादों को संजोए हुए है।
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रंग लाया पहल, पोखरे की सुंदरीकरण शुरू
पटहेरवा : प्रधान प्रतिनिधि रियाजुद्दीन उर्फ मुन्ना ने महुंअवा देवरिया में स्थित चंवरही पोखरे का सुंदरीकरण का काम उत्साह से शुरू किया है। ग्रामीणों के उत्साह से स्वयं प्रधान प्रतिनिधि इतने प्रभावित है कि स्वयं पोखरे के सुंदरीकरण विधि विधान के साथ शुभारंभ किया। उन्होंने जागरण को बताया कि उनका प्रयास रहेगा कि ग्राम सभा में स्थित तेरह तालाबों में से अधिकांश का सुंदरीकरण कराऊंगा। कहा कि अतिक्रमण वाले पोखरों पर प्रशासन सहयोग देगा तो उसका भी सुंदरीकरण का काम शुरू करा देंगे। --------------------
अतिक्रमण साफ करने का लें संकल्प
रामपुर बुजुर्ग, कुशीनगर: सुकरौली विकास खंड के गांव मोतीपाकड़ कविलसहां के भड़गवां टोले पर ट्राम्बे लाइन के दक्षिण तरफ की पोखरी है, जो अतिक्रमण का शिकार होती जा रही है। इस पोखरी के किनारे के घरों में 30 मार्च 2014 को आग लगी थी जिसमे 4-5 घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए थे। मौके पर आग बुझाने में यही पोखरी मुख्य रूप से काम आई थी। गांव के अखिलेश्वर शर्मा, लाल साहब ¨सह, विनोद मद्धेशिया, राजकुमार शर्मा, लाल ़खान, रामनिवास, छोटे राव, संजय चौरसिया, नबीआलम ़खान आदि ने आक्रोश जताते हुए पोखरे को शीघ्र अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की है। प्रधान विजय कुमार यादव ने कहा कि पोखरे को साफ कराने में दिक्कत आ रही है। इस संबंध में उपजिलाधिकारी जेपी गुप्ता ने कहा कि हल्का लेखपाल को भेजकर कल ही सीमांकन करायेंगे। पोखरी को खाली कराने में पूरी तरह मदद करेंगे।