छात्रों को पढ़ाया गया वैज्ञानिक खेती का पाठ
कुशीनगर : गन्ने की वैज्ञानिक खेती के प्रति जागरूक करने तथा शरद कालीन गन्ने के साथ आलू, लहसून, प्याज
कुशीनगर : गन्ने की वैज्ञानिक खेती के प्रति जागरूक करने तथा शरद कालीन गन्ने के साथ आलू, लहसून, प्याज, सब्जी, मटर, गोभी आदि की सह फसली खेती को बढ़ावा देने के लिए गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र गोरखपुर द्वारा जिले में व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी क्रम में बुद्ध इंटर कालेज कुशीनगर मे गुरूवार को कृषि के छात्रों को गन्ने की वैज्ञानिक खेती, सहफसली खेती तथा गांव के विकास में कृषि की भूमिका विषय पर जानकारी दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डा. रितेश कुमार चौधरी ने किया। संचालन कृषि अध्यापक ओमप्रकाश ने किया। गन्ना संस्थान गोरखपुर की सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्त ने बताया कि देश की 70 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है। इनका जीवन कृषि पर आधारित है लेकिन दुर्भाग्य है कि आज इस जिले में मछली व अण्डा आंध्रप्रदेश से आ आ रहा है। प्याज महाराष्ट्र से आ रहा है। कुशीनगर के किसान गन्ने के साथ लहसून के साथ प्याज बोकर 50 से 60 हजार रुपये एकड़ अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं। आगे कहा कि पशुपालन से खेती का लागत घटेगा। यदि किसी गाय, भैंस को रात में 50 रुपये का दाना खिलाते हैं तो सुबह 100 रुपये का दूध देगी। गन्ने की खेती दो सौ कुंतल एकड़ उपज लेने वाला किसान का विकास नहीं होगा क्योंकि एक एकड़ की खेती करने के लिए लगभग 40 हजार रुपया खर्च आ रहा है। इसके लिए उपज बढ़ाना होगा। सह फसली खेती करना होगा। पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, दलहन, तिलहन क्षेत्र में आगे आना होगा। प्रधानाचार्य डा. रितेश चौधरी ने कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए गोबर चाहिए। शिवानंद धर दूबे, उमेश उपाध्याय, सुरेश प्रसाद गुप्त, ओपी गुप्त तथा प्रेम कुमार मिश्र ने भी अपने विचार रखे।