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इजरायल में लोकप्रिय हो रही हिंदी: प्रो. गेनादी

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 05:59 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 05:59 PM (IST)
इजरायल में लोकप्रिय हो रही हिंदी: प्रो. गेनादी

जागरण संवाददाता, स्थानीय बुद्ध पीजी कालेज के शिक्षक संघ के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित संवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए तेल अवीव विवि के पूर्वी एशिया अध्ययन विभाग के प्रोफेसर एवं इसाइल में हिन्दी के प्रथम प्रतिनिधि डा. श्लोम्पर गेनादी ने कहा कि इसराइल अपनी समस्याओं में उलझा देश है लेकिन देशवासियों को हिन्दी से प्रेम है। देश की आबादी 80 लाख है जिसमें भारतीय संस्कृति को सीखने 40 लाख लोग हर वर्ष भारत भ्रमण पर आते हैं क्योंकि भाषा सीखने के लिए संस्कृति जानना जरूरी है। संस्कृति सीखे बिना भाषा का अच्छा ज्ञान नही हो सकता।

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उन्होंने कहा कि भारत में हिन्दी का ही प्रयोग करता हूं। उर्दू पहली जुबान है। पंजाबी भी सीखा है उससे प्यार है। अन्य भाषाओं की तुलना में हिन्दी सीखना आसान है। उन्होंने शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डा. नरेंद्र प्रकाश राय ने कहा कि भाषा विचारों की संवाहिका है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. इंद्रासन प्रसाद ने स्वागत भाषण दिया। प्रभारी संचालन महामंत्री डा. सीमा त्रिपाठी ने किया। आभार डा. पीपी पाण्डेय ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डा. बीके टिबड़ेवाल, डा. उर्मिला यादव, डा. हरिशंकर पाण्डेय, डा. इंद्रजीत मिश्र, डा. रामभूषण मिश्र, डा. सतीश चंद द्विवेदी, डा. राजेंद्र प्रसाद, डा. बीके पाण्डेय, डा. अमरनाथ त्रिपाठी, डा. आरके मिश्र, डा. दुर्गेश मणि त्रिपाठी, डा. बीके तिवारी, डा. आरपी पाण्डेय, डा. किरन जायसवाल, डा. रीना मालवीय, डा. चंद्रशेखर सिंह, डा. अंजुला शुक्ल, डा. वीना कुमारी, डा. कुमुद त्रिपाठी, डा. आमोद राय, डा. सत्यप्रकाश, आमोद चतुर्वेदी, डा. अवधेश पाण्डेय, सत्येंद्र कुमार मिश्र, आलोक तिवारी आदि उपस्थित रहे। संवाद कार्यक्रम में इसराइली प्रो. श्लोपर गेनादी के साथ आए इसरायली छात्र-छात्राओं - मातान मास्सिका, अदी फीशेर, अलेक्जेंड्रा, ओफीर मिज्राखी, ताल गोरसकी, यकीर दहारी ने प्रयोगशाला सहायक राजेंद्र शर्मा के अनुरोध पर बाबू जी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, हमसे तुम दोस्ती कर लो, बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी, कितना प्यारा तुझे रब ने बनाया आदि हिन्दी गाने को प्रस्तुत किया तो संवाद भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और उपस्थित लोग थिरकने लगे। लोगों ने उनके उच्चारण की भूर-भूर प्रशंसा की


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