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..टूटता विश्वास और फूटता आक्रोश

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 11:29 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 11:29 PM (IST)
..टूटता विश्वास और फूटता आक्रोश

कुशीनगर: केस नंबर एक:- 31 अगस्त, थाना रामकोला, स्थान पुलिस चौकी रगड़गंज-एक युवक को हिरासत में लिया तो अविश्वास खड़ा हुआ और भीड़ ने दो सिपाहियों को पीटा।

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केस नंबर दो:-1 सितंबर, थाना पटहेरवा, स्थान सीएचसी फाजिलनगर-हिरासत में लिए व्यक्ति को इलाज के लिए फाजिलनगर सीएचसी पर पहुंचे दो पुलिस कर्मियों को ग्रामीणों ने दौड़ाकर पीटा।

ये दो घटनाएं तो महज बानगी भर हैं। ऐसी घटनाओं की लंबी फेहरिश्त है जहां पर खाकी से जनता का विश्वास टूटा और आक्रोश फूटा। आक्रोश भी ऐसा कि जनता के हाथ सीधे सुरक्षा देने वाले खाकी के गिरेबां तक पहुंच गए। लोग इस कदर बेकाबू हो गए कि पुलिसकर्मियों को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी।

आपको हम इन दो घटनाओं को तफशील से बता देते हैं ताकि आप पुलिस से टूटते भरोसे और जनता के फूटते आक्रोश का पूरा माजरा समझ जाएं। पहली घटना में रामकोला थाने की रगड़गंज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही बालू लेकर आ रहे एक चालक को रोका और कुछ कहा। चालक ने मना किया तो उसे हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद यहां पहुंची ग्रामीणों की भीड़ ने चौकी पर ही दौड़ाकर पुलिसकर्मियों को पीटना शुरू कर दिया। गांव के कुछ लोग आगे आए तो माहौल सामान्य हुआ। ठीक एक दिन बाद एक अगस्त को एक बार फिर लोगों का विश्वास खाकी से उठा और लोग आक्रामक हो उठे। नतीजा हुआ कि फाजिलनगर अस्पताल परिसर में सिपाही को सरेआम पीट डाला।

पुलिस पर हो रहे लगातार इन हमलों ने खाकी के इकबाल पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस से जनता का भरोसा ऐसे ही टूटता रहा तो कानून व्यवस्था का क्या होगा।

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