बाप रे बाप यहां खतरे के आसार
कुशीनगर: जिले में जर्जर तारों की भरमार और रिहायशी इलाकों में खुले में सजे ट्रांसफार्मर के बाजार आम नागरिकों की जान पर खतरा बनकर खड़े हैं। सही बात तो यह है कि रिहायशी इलाकों में विभाग की लापरवाही के रूप में लोगों के ऊपर मौत नाच रही है। लापरवाही रूपी मौत कब कहर बनकर बरप जाए कहा नहीं जा सकता, विभाग है कि चैन की नींद सो रहा है।
लगभग 36 लाख की आबादी वाले जिले में विद्युत सप्लाई के संसाधन दशकों पुराने हैं। चाहे वह विद्युत तार हो अथवा ट्रांसफार्मर। हाईवोल्टेज तार भी लोगों के छतों के करीब या ऊपर से गुजरा हुआ है। यह कभी भी जानलेवा बन सकता है। लोग सहमे हुए हैं। यही वजह है कि यदि हल्की सी फाल्ट भी हुई तो लोग घरों से बाहर को दौड़ पड़ते हैं कि कहीं कोई बड़ा हादसा तो नहीं हो गया।
यह हाल नगर से लगायत ग्रामीण क्षेत्रों तक का है। नगर के तिलक नगर की बात करें या फिर कसया, सेवरही, हाटा कस्बों की सड़क किनारे जर्जर तार लटके हुए हैं तो लोगों के घरों के समीप और ऊपर से दौड़े हुए भी हैं। ग्रामीण इलाकों में तो हालात और खराब हैं। आए दिन तार टूटकर गिरते हैं तो दुर्घटना होने से बचती है या फिर हो जाती है।
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25 मेगावाट कम मिलती है सप्लाई
-विभाग की डिमांड 70 मेगावाट की जगह 40 की ही आपूर्ति मिल रही है। अगर 30 मेगावाट की आपूर्ति हो जाए तो यहां के उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली की आपूर्ति मिलेगी।
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नहीं बढ़ीं सुविधा
-दो वर्ष पूर्व तक कुशीनगर में सवा लाख कनेक्शनधारी थे, जो वर्तमान में बढ़कर पौने दो लाख के बीच है। लेकिन वही जर्जर व पुराने तारों के संसाधन से आपूर्ति चल रही है।
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एक दर्जन से अधिक हुई घटनाएं, गई हैं जानें
पडरौना, कुशीनगर: जिले भर में विद्युत तार टूटने और ट्रांसफार्मर जलने को लेकर एक दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं। इसमें कुछ लोगों की जानें भी गई। बड़ी दुर्घटनाएं गांवों में हुई जहां लोग मौत के शिकार हुए। मवेशियों की जानें गई और विभाग के खिलाफ हो-हल्ला भी मचा लेकिन सुधार न हो सका है। शायद विभाग को किसे बड़े हादसे का इंतजार है।