मानव को अ¨हसा का संदेश देती यह परम्परा
रामपुर धमावां में बंदरों व कुत्तों को खिलाया जाता है भोजन सिराथू, कौशांबी : जहां एक ओर समाज के ल
रामपुर धमावां में बंदरों व कुत्तों को खिलाया जाता है भोजन
सिराथू, कौशांबी : जहां एक ओर समाज के लोग अ¨हसा का रास्ता छोड़ बेजुबानों का कत्ल कर मांस को अपना भोजन बनाते हैं वहीं इस गांव की यह परम्परा समाज के लोगों को यह संदेश देती है कि वह जीवों पर दया करें।
सिराथू क्षेत्र के रामपुर धमावां गांव के पूर्व प्रधान रहे स्व. शिवशंकर ¨सह ने 50 वर्ष पहले शिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिर में रामायण पाठ के बाद क्षेत्र के बंदरों व कुत्तों को भरपेट खाना खिलाने की परम्परा की शुरुआत की थी। भले ही स्व. सिंह आज इस दुनिया में न हों लेकिन उनके परिवार के लोग इस परम्परा को निभाते चले आ रहे हैं। प्रत्येक वर्ष पीढ़ी दर पीढ़ी कुकुर भोज का आयोजन कर खाना खिलाया जाता है। इन दिनों इस परंपरा का निर्वहन कर रहे उनके पुत्र अभयराज सिंह ने बताया कि मेरे दादा को जब कोई संतान नहीं थी तो गांव में स्थित शिव मंदिर में जाकर प्रार्थना की जिसके बाद भगवान प्रसन्न हुए और हमारे दादा स्व. फूल ¨सह के घर हमारे पिता का जन्म हुआ। इसके बाद उन्होंने इस परम्परा की शुरुआत की और हर वर्ष क्षेत्र में रहने वाले बंदर, कुत्ते व जंगली जानवरों को खाना दिया जाता है। इसके बाद गांव के लोगों को खाना खिलाया जाता है। इसमें परिवार के भानुप्रताप ¨सह, निर्भय राज ¨सह, दिलीप ¨सह, भारत ¨सह, धनंजय ¨सह, देवराज ¨सह, मधुबन ¨सह व अन्य का सहयोग रहता है। ये रस्म लोगों को ¨हसा से अ¨हसा के प्रति व जीवों पर दया करने का संदेश देती है।