Þबोली लैला तेरे बिन अकबर न जी पाऊंगी मैंÞ
कौशांबी : विकास खंड कौशांबी के ग्राम हसनपुर बेरुई में अशर-ए-सफर की मजलिसों का दौर जारी है। जगह-जगह अ
कौशांबी : विकास खंड कौशांबी के ग्राम हसनपुर बेरुई में अशर-ए-सफर की मजलिसों का दौर जारी है। जगह-जगह अजाखाने सज गए हैं। हाय हुसैन की सदाएं गूंज रही हैं। इस सिलसिले में शुक्रवार की रात हसनपुर बेरुई में शैदाये रजा के अजाखाने में मजलिस हुई। इसमें मौलाना रजा हैदर साहब ने पढ़ा- आपने कहा कि अजादारी हमारी पहचान है। हुसैन से मोहब्बत करना है तो मकसदे हुसैन को भी अपनाना होगा। शहादते हुसैन ने ही नमाज को बचाया। रोजे की हिफाजत की अगर हमने नमाज न पढ़ी और रोजे के महीने में रोजा न रखा तो गोया हमने इमाम हुसैन से दिखावे की मोहब्बत की है। अली अकबर के मसायब पढ़े तो अजादारों की आंखों से आंसू बह निकले। ताबूत बरामद हुआ। लोगों ने इसकी ज्यारत की। अंजुमने सदक-ए-जहरा के नौहाखान मो. नजमुल, सलमान व सुहेल ने नौहा पढ़ा- बोली लैला तेरे बिन अकबर न जी पाऊंगी मैं, गम में तेरे रात-दिन रो-रो के मर जाऊंगी मैं। दूसरा नौहा अंजुमने अब्बासिया के हसन अब्बास व महमूद अली ने पढ़ा- ये बानों कहती थी रोकर मेरे अकबर मेरे अकबर, तुम्हें मौत आ गई दिलबर मेरे अकबर मेरे अकबर। इस नौहे पर नौजवानों ने जमकर सीनाजनी की। आखिरी नौहा अंजुमने दुआए जहरा बाजापुर ने पढ़ा। नेजामत करते हुए रौशन करारवी ने पढ़ा- है नस्ब शहर-शहर में परचम हुसैन का, हर जुल्म की शिकस्त है मातम हुसैन का। जुलूस कदीमी रास्तों से होता हुआ वापस अजाखाने में रात दस बजे आकर समाप्त हो गया। इस मौके पर इमरान, अम्मार, फैजान, फैज व शबीहुल आदि मौजूद रहे।