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असाढ़ में मई-जून सा पसीना

कौशांबी : कभी असाढ़ के महीने में शायद ही कोई दिन हो, जब बारिश न होती हो। अगर एक-दो दिन को छोड़ दें तो

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 11:24 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 11:24 PM (IST)
असाढ़ में मई-जून सा पसीना

कौशांबी : कभी असाढ़ के महीने में शायद ही कोई दिन हो, जब बारिश न होती हो। अगर एक-दो दिन को छोड़ दें तो यह लगभग समाप्त हो रहा पूरा महीना बिना बारिश के ही रह गया। आसमान में काले और घने बादल घुमड़ तो रहे हैं, लेकिन बिना बारिश के ही वापस लौट जा रहे हैं। इंद्रदेव का कोप देखकर जनपद के किसान सहमे हुए हैं। अगर शीघ्र बारिश न हुई तो सूखा पड़ने की प्रबल संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

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खरीफ की फसल के तहत खेतों में किसानों ने अरहर, तिल, उड़द व धान को रोपित किया है। बिना बारिश के ये फसल सूखने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। हजारों रुपये खर्च कर खरीफ की फसल बोने वाले किसान सूखे की आहट से काफी परेशान हो गए हैं। जनपद के अधिकतर माइनरों में पानी का प्रवाह भी नहीं किया जा रहा है। इससे किसानों को अब सिर्फ आसमानी बारिश की ही उम्मीद है। इतना ही नहीं रोस्टर के मुताबिक ¨सचाई के लिए बिजली भी मिल रही है, जिससे कि किसान निजी नलकूप से अपने खेतों में पानी भर सकें। पर्याप्त बिजली आपूíत न होने से जनपद की 22 सौ हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रोपित की गई धान की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। ये अलग है कि पिछले कई दिन पूर्व जनपद के कुछ स्थानों पर रिमझिम बारिश हुई थी, लेकिन इससे खेत सिर्फ गीले हुए थे, बाद में सूर्य की तल्खी से फिर सूख चुके हैं। इस बारिश से फसलों को कुछ खास फायदा नहीं मिला। खेतों में तो अब झमाझम बारिश की आस है। धान की फसल ¨सचाई के अभाव में सूख रही है और नहरें भी सूखी पड़ी हैं। ¨सचाई के लिए नहरों में पानी का प्रवाह करने के लिए किसान आए दिन नहर विभाग के अधिकारियों से विनती कर रहे हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा है। इसके लिए तहसील मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा है, इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है। यहां बिजली की भी बात करना जरूरी है। जनपद के अधिकतर विद्युत उपकेंद्रों से गांवों में शिफ्टों में बिजली की आपूíत की जा रही है। फीडर से आपूíत किए जाने वाली बिजली को दो भागों में बांटने की वजह से अधिकतर गांवों में दस के बजाय पांच घंटे ही बिजली मिल रही है।

किसानों का दर्द

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अगर शीघ्र तेज बारिश नहीं हुई तो सारे किए धरे पर पानी फिर जाएगा। खेतों में फसल सूख जाएगी और किसानों की उम्मीद जाती रहेगी। -कल्लू पाल

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इंद्रदेव का प्रकोप किसानों के लिए काफी दुखदाई साबित हो रहा है। तभी तो आसमान पर काले बादल तो दिखते हैं, लेकिन बिन पानी बरसाए ही वापस लौट जा रहे हैं।-

रामचंद्र

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एक ओर तो आसमानी बारिश नहीं हो रही है, दूसरी ओर नहरों में पानी नहीं है। इसकी शिकायत कई बार नहर विभाग के अधिकारियों से की गई, लेकिन समस्या जस की तस बनी है।

-बुद्धूलाल

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बिजली का हाल यह है कि गांवों में सिर्फ कुछ घंटे ही आपूíत की जाती है। इससे निजी नलकूप भी नहीं चल पाते और खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

- विशम्भर

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खेतों में लगी धान आदि की फसल पानी के अभाव में सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। खेतों में लगी फसल को तत्काल पानी की सख्त आवश्यकता है। ऐसा न होने पर फसल सूख जाएगी।

- रामबाबू

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केएसएम 8

असाढ़ का महीना समाप्त होने को है, लेकिन हाल यह है कि मई-जून की गरमी पड़ रही है। सूर्य की तल्ख किरणें खेतों में लगी फसलों को झुलसाने का पूरा प्रयास कर रही है।

- छोटेलाल


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