58 ग्राम पंचायतों के मजदूर कर रहे पलायन
कौशांबी : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत भले ही सरकार द्वारा जॉब कार्डधारकों को वर
कौशांबी : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत भले ही सरकार द्वारा जॉब कार्डधारकों को वर्ष में 100 दिन का रोजगार देने का दावा ठोका जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से दोआबा के 58 ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य ठप है। इसकी वजह से मजदूरों के सामने रोजगार का संकट है और मजबूरी में उन्हें काम के लिए दूसरे जनपद जाना पड़ रहा है।
सरकार की मंशा है कि गांवों में रहने वाले मजदूरों को गांवों में ही रोजगार दिलाया जाए। इसके लिए जनपद के एक लाख 70 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत जॉब कार्ड जारी किया गया है। हालांकि जॉब कार्डधारक काम की मांग ग्राम पंचायतों से करते हैं, लेकिन सभी मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इसका कारण है ग्राम प्रधानों व मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों की शिथिलता। इस कारण मंझनपुर विकास खंड क्षेत्र की 14 ग्राम पंचायतें, सिराथू विकास खंड क्षेत्र की 23 ग्राम पंचायतें व मूरतगंज विकास खंड क्षेत्र की 21 ग्राम पंचायतों में एक पखवारे से मनरेगा के तहत काम नहीं चल रहा है। इसे लेकर जॉब कार्ड धारक काफी परेशान हैं। अपने व परिवार के भरण-पोषण के लिए अधिकतर मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरे जनपदों में जाना पड़ रहा है। इसकी शिकायत कई बार मजदूरों ने ग्राम प्रधान व मनरेगा से जुड़े अधिकारियों से की थी। इसके बाद भी मजदूरों की समस्या का निराकरण नहीं किया गया।
विकास कार्यो समीक्षा के दौरान स्पष्ट हुआ कि जनपद के 58 ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य नहीं चल रहा है। इसमें मंझनपुर विकास खंड क्षेत्र की 14 ग्राम पंचायतें, सिराथू विकास खंड क्षेत्र की 23 ग्राम पंचायत व मूरतगंज विकास खंड क्षेत्र की 21 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। जिले की 58 ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य न चलने से डीआरडीए के परियोजना निदेशक आरसी पांडेय ने काफी नाराजगी व्यक्त की। साथ ही संबंधित खंड विकास अधिकारियों को चेतावनी नोटिस जारी कर मनरेगा के तहत कार्य न शुरू कराए जाने का कारण पूछा है। साथ ही हिदायत भी दी है कि तीन के भीतर संबंधित ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू कराकर रिपोर्ट भेजना सुनिश्चित करें।