अहम गुनहगार की चर्चा तक से गुरेज करते हैं लोग
कौशांबी : व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की पड़ताल कर रहे पत्रकार अक्षय ¨सह और जबलपुर स्थित
कौशांबी : व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की पड़ताल कर रहे पत्रकार अक्षय ¨सह और जबलपुर स्थित एमएस मेडिकल कालेज के डीन अरुण शर्मा की संदिग्ध मौत रविवार को कौशांबी में भी चर्चा का सबब बनी रही। दरअसल व्यापमं मेडिकल घोटाले के मुख्य गुनहगारों में कौशांबी का एक डॉक्टर भी है। उसके गांव में पट्टीदारों ने जहां चुप्पी साधे रखी, वहीं अन्य लोग भी कुछ बोलने से कतराते रहे।
मप्र ही नहीं देश भर में चर्चित व्यवसायिक परीक्षा मंडल घोटाले के मुख्य आरोपियों में पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के सेंगरहा गांव के डा. वासुदेव सागर के शामिल होने की जानकारी साल भर पहले सामने आई थी। डा. वासुदेव सागर ग्वालियर में रहता था। वहीं से उसने डॉक्टरी की डिग्री हासिल की। उसकी डिग्री को लेकर सवालिया निशान हैं। मौजूदा समय डॉक्टर मप्र की जेल में बंद है। बीटीसी प्रशिक्षु मुहम्मद रजी और व्यापारी शिवम केशरवानी ने कहा कि कौशांबी की बदनामी कराने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सेंगरहा गांव का बच्चा हो या बुजुर्ग, व्यापमं घोटाले से वाकिफ है, इसीलिए गांव के लोग इस संबंध में कोई बात नहीं करते हैं। डॉक्टर के पट्टीदार गायब हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह इलाहाबाद में कहीं रहते हैं? कहां रहते हैं, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है।
पूरी गैंग करती थी काम
कहा जाता है कि डा. वासुदेव सागर ने धांधली के लिए पूरी गैंग तैयार कर ली थी। मप्र के कद्दावर राजनीतिज्ञों से मधुर संबंध बनाने के बाद डॉक्टर ने कानपुर, कौशांबी, फतेहपुर के मेधावी छात्रों को लालच देकर उनको सॉल्वर बनाया था। कौशांबी के भी चार युवक इस घोटाले के सिलसिले में पकड़े गए हैं। अभी भी कुछ की तलाश हो रही है।
व्यापमं घोटाले के आरोपी डा. वासुदेव सागर के पास अकूत दौलत है। पिता पहले एक ईंट भट्ठे में मुंशी थे, लेकिन डॉक्टर के मध्य प्रदेश में सक्रिय होते ही पिता ने खुद पांच ईंट-भट्ठे खोल लिए। इलाहाबाद में भी कई प्लाट व लग्जरी वाहन खरीदे गए हैं। दावा तो यहां तक है कि लखनऊ में भी एक कोठी खरीदी गई है।