भू-जल स्तर थामने को लगाया एड़ीचोटी का जोर
कौशांबी : तेजी से गिर रहे भू-जल स्तर को लेकर जिले के अफसर बेफिक्र थे। बूंद-बूंद पानी का संकट बढ़त
कौशांबी : तेजी से गिर रहे भू-जल स्तर को लेकर जिले के अफसर बेफिक्र थे। बूंद-बूंद पानी का संकट बढ़ता जा रहा था। हजारों की तादाद में हैंडपंप पानी देना बंद कर चुके थे। भू-जल स्तर को थामने का एक ही तरीका था छोटी नदियों में चेकडैम बनाकर बारिश का पानी संचय किया जाए। प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हुई तो भाकियू के बलबीर ¨सह चौहान ने आंदोलन शुरू कर दिया। जिले की भयावह स्थिति से जिला प्रशासन ही नहीं शासन स्तर के अफसरों को भी रूबरू कराया। इसके बाद जिले में चेकडैम बने और सूखी नहरों में पानी का प्रवाह किया गया।
जनपद में पेयजल संकट की स्थिति बहुत खराब है। जिले के पांच ब्लाक डार्क जोन में हैं। पानी का स्तर इतना नीचे जा चुका है कि आने वाले दिनों में लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। गर्मी के दिनों में हजारों की तादाद में हैंडपंप ठप हो जाते हैं। रीबोर नहीं हो पाता है। पेयजल संकट को देखते हुए भाकियू के जिलाध्यक्ष बलवीर ¨सह चौहान ने जिले की छोटी नदियों में चेकडैम बनवाने की मांग की। मांग अनसुनी होने लगी तो बलवीर ¨सह चौहान ने आंदोलन शुरू कर दिया। साथ ही गांव-गांव चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। पानी के महत्व को समझाया साथ ही बताया कि बरसात का पानी हो अथवा हैंडपंप व तालाब का। जल का संरक्षण जरूरी है। यदि जल संरक्षण नहीं होगा तो हमें ही मुसीबतों का सामना करना होगा। आंदोलन शुरू हुआ तो पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार ने चेकडैम बनवाने की पहल शुरू की। अब तक 18 चेकडैम बन चुके हैं और करीब आधा दर्जन चेकडैम बनने हैं। बलवीर ¨सह चौहान का कहना है कि चेकडैम बनने से बरसात का पानी डैम में इकट्ठा रहता है। इससे किसान खेती-किसानी भी कर लेते हैं। साथ ही भू-जल स्तर भी दुरुस्त हो रहा है। इसके अलावा सूखी नहरों में पानी का प्रवाह कराया। कई ऐसी नहरें थी जिनमें दशकों से पानी नहीं आया था। पानी का प्रवाह शुरू हुआ तो गांवों के ठप हैंडपंप पानी भी देने लगे। अब वह और उनकी टीम लोगों को जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रही है।