अब जिले में ही होगा एड्स पीड़ितों का इलाज
कौशांबी : एड्स पीड़ित मरीजों का पीड़ति मरीजों का उपचार जिले में ही होगा। इन मरीजों से अब स्वास्थ्य
कौशांबी : एड्स पीड़ित मरीजों का पीड़ति मरीजों का उपचार जिले में ही होगा। इन मरीजों से अब स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक पीछा नहीं छुड़ा सकेंगे। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) को लगातार शिकायत मिल रही थी कि चिन्हित मरीजों को जबरन मेडिकल कालेज अथवा गैर जनपद के जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। इस पर प्रमुख सचिव ने प्रतिबंध लगाते हुए मरीजों की सुरक्षा एवं देखभाल की जिम्मेदारी भी तय कर दी है।
जनपद में लगभग 78 एड्स रोगी चिन्हित किए गए हैं। इनमें से अधिकांश मरीजों का इलाज इलाहाबाद के एसआरएन अस्पताल में चल रहा है। हाल ही में चरवा क्षेत्र के एक परिवार के चार लोगों को एड्स से पीड़ित पाया गया। परिवार के मुखिया की मौत हो चुकी है। जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इनको भी इलाज के लिए इलाहाबाद के एसआरएन रेफर कर दिया। इसी तरह कई जनपदों से राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) को लगातार शिकायत मिल रही थी। नाको ने विस्तृत ब्यौरा प्रमुख सचिव अरविंद कुमार के सामने रखा। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव ने निर्देश जारी किया है कि अब जिला अस्पताल में ही एड्स पीड़ित मरीजों का इलाज करना होगा। मरीज मेडिकल कालेज अथवा दूसरे जनपदों के अस्पतालों में रेफर नहीं किए जाएंगे। मरीजों की सुरक्षा व देखभाल की जिम्मेदारी भी तय की गई है। एड्स मरीजों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी सुरक्षा देने की हिदायत दी गई है।
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कर्मियों का होगा निश्शुल्क इलाज
कौशांबी : एड्स पीड़ित मरीजों की सुरक्षा व देखभाल के तगड़े बंदोबस्त किए गए हैं। चिन्हित मरीजों का नियमित इलाज होगा। इलाज के दौरान यदि स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी चपेट में आ जाता है तो उसका इलाज स्वास्थ्य विभाग निश्शुल्क कराएगा। साथ ही एंटी रेट्रोवायरल औषधि तत्काल मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इसका इंतजाम करने का भी निर्देश दिया गया है।
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मरीजों को मिलेगी राहत
कौशांबी : प्रमुख सचिव के फरमान से एड्स पीड़ित मरीजों को राहत मिलेगी। अब उन्हें अपने इलाज के लिए डॉक्टरों का चक्कर नहीं काटना होगा। क्योंकि अब वह रेफर करके अपना पीछा नहीं छुड़ा सकेंगे। मरीजों का इलाज करना होगा। इससे मरीजों ने राहत की सांस ली है। पहले इलाहाबाद जाकर मरीजों को इलाज कराना पड़ता था। इससे उन्हें आíथक नुकसान भी उठाना पड़ता था।