तर्पण : पिता जी सिखाते थे मानवता का पाठ
By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 08:14 PM (IST)
पिता जी हमेशा मानवता का पाठ सिखाते थे। किसी को यदि कष्ट में देख लेते थे तो खुद द्रवित हो जाते थे। दूसरों की हमेशा वह मदद करते थे। बीमारी आदि फैलने पर खुद डाक्टर से संपर्क करते और गांव आने के लिए बुलाते थे। न आने पर वह दबाव भी डालते थे। परिवार के लोगों को यही शिक्षा वह देते थे कि दूसरों की मदद करें। शिक्षा पर भी उनका विशेष ध्यान रहता था। बच्चे बेहतर शिक्षा ग्रहण करें, इसके लिए वह दबाव बनाकर भी रखते थे और बताते थे कि शिक्षा वह हथियार है, जिसके बूते वह तरक्की कर सकते हैं। पितृ पक्ष में जल-तिल चढ़ाकर पिता जी को श्रद्धांजलि देते हैं। इससे आत्मा को बड़ा सुकून मिलता है। ऐसा लगता है कि वह साथ-साथ हैं।
शिवकुमार मिश्र-सौंरई बुजुर्ग।
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