'त्रिदेव' का चक्रव्यूह नहीं तोड़ सके भाजपा के 'पांडव'
बृजेश गौतम, कौशांबी : सिराथू उपचुनाव का असली महाभारत सपा और भाजपा के ही बीच था। सपा सरकार के तीन मंत्रियों को इस चुनाव की कमान मिली थी तो भाजपा ने पांच सांसदों को चुनाव जिताने की बागडोर सौंप रखी थी। त्रिदेवों से हर मोर्चे पर भाजपा के पांडव जूझ रहे थे। बेखौफ और बेबाक बोलकर सियासी आबोहवा का रुख भाजपा की ओर मोड़ने की पुरजोर कोशिश भी की गई, लेकिन त्रिदेवों का दम और बसपा का साथ भाजपा पर भारी पड़ा।
सिराथू विधानसभा सीट भाजपा के कब्जे में थी। वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य इस सीट से चुनाव जीते थे। केशव प्रसाद फूलपुर से सांसद बने तो यह सीट खाली हो गई। भाजपा केशव की विरासत को बचाने के लिए पूरी ताकत से जुटी थी। वहीं सपाई इस सीट पर खाता खोलने को बेताब थे। रणनीति के तहत दोनों दलों ने इस सीट पर प्रत्याशी उतारा। भाजपा ने बिरादरी वाद का कार्ड खेलने के साथ ही पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए भाजपा के सांसद केशव प्रसाद मौर्य, सांसद विनोद सोनकर के अलावा फतेहपुर, बांदा और इलाहाबाद के सांसदों को चुनावी बागडोर सौंप दी। सभी सांसदों ने मिलकर भाजपा कार्यकर्ताओं को लामबंद कर वोट अपने पाले में खींचने की रस्साकसी शुरू कर दी। वहीं सपा मुखिया ने इस सीट पर विजय हासिल करने के लिए काबीना मंत्री पारसनाथ यादव के नेतृत्व में राज्यमंत्री रामवृक्ष यादव और शंखलाल माझी को चुनाव की कमान सौंप दी। प्रत्याशी से इतर यह तीनों त्रिदेव प्रचार प्रसार में जुटे थे। प्रत्याशी बसपाईयों को साधने में मशगूल थे तो तीनों मंत्री रूठों को मनाने में लगे रहे। सपा के मंत्रियों और भाजपा के सांसदों ने चुनावी मैदान को रण में बदलने में तो कामयाब रहे, लेकिन विजय सपा के ही हाथ लगी।
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योगी का भी तिलिस्म टूटा
कौशांबी : गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने मतदान से दो दिन पहले चुनावी जनसभा को संबोधित कर भाजपा के पक्ष में लहर बनाने की कोशिश की। इसमें योगी काफी हद तक कामयाब भी हुए, क्योंकि वह हैं भी करिश्माई व्यक्ति। लेकिन उनका तिलिस्म मतदान से ऐन वक्त पहले ही टूट गया। जिसका परिणाम रहा कि भाजपा के हिस्से हार आई।
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जौनपुर बिग्रेड ने भी ली राहत की सांस
कौशांबी : सिराथू सीट के उपचुनाव में जौनपुर बिग्रेड की भी सांस अटकी थी। लेकिन पहले राउंड से दस राउंड तक जब सपा ने बढ़त बना ली तो जौनपुर के मंत्री पारसनाथ यादव व उनके गृह जनपद के जिले में तैनात तमाम अफसरों ने भी राहत की सांस ली। सबको एक अनजाना भय जरूर सता रहा था, लेकिन परिणाम ने सारा डर निकाल दिया।