पेराजोर में सामूहिक हत्याकांड से सनसनी, पुलिस उलझी
सरवनखेड़ा संवाद सहयोगी : गजनेर के पेराजोर गांव में बेटे समेत दंपती की हत्या को लेकर गांव में खामोश त
सरवनखेड़ा संवाद सहयोगी : गजनेर के पेराजोर गांव में बेटे समेत दंपती की हत्या को लेकर गांव में खामोश तनाव बना है और कोई कड़ी हाथ न लगने से पुलिस भी उलझ गई है कि आखिर निर्ममता पूर्वक हत्या का कारण क्या है। पुलिस घटना में किसी करीबी का हाथ मान रही है।
पेराजोर गांव के बाहर बने मकान में रामसागर सिंह परिवार के साथ रहता था। बीते छह से सात वर्ष के अंदर ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में तरक्की करते हुए सात ट्रक बनाए। एक माह पहले ही उसने दो ट्रक खरीदे थे। सुबह से रात तक व्यवसाय में व्यस्त रहने वाला रामसागर अपनी स्कार्पियो से आता जाता था। तंबाकू के अलावा कोई नशा न करने व कुशल व्यवहार को लेकर लोग चर्चा करते रहे। किसी से रंजिश न होने के बावजूद निर्मम सामूहिक हत्या को लेकर लोग सकते में हैं। पुलिस के सामने भी सामूहिक हत्याकांड का खुलासा करना चुनौती बना है।
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बुढ़ापे का सहारा छिना
इकलौते पुत्र, पुत्रवधू व पौत्र की हत्या के बाद रमेश सिंह व उनकी पत्नी रानी देवी टूट चुके हैं। एक ओर उनके बुढ़ापे का सहारा छिन गया, वहीं पौत्रियों की परवरिश की जिम्मेदारी बढ़ गई है। रामसिंह ने बताया कि गरीबी में गुजर बसर परिवार का पालन पोषण किया था। बेटा रामसागर बड़ा हुआ तो उसने मेहनत करके आर्थिक स्थिति संभाली। रमेश ने रोते हुए कहा कि शायद किस्मत में संघर्ष ही लिखा है। बेटा, बहू व पौत्र के शव से लिपट कर रो रहे वृद्ध दंपती को ढांढस बंधाने वाले भी आंसू नही रोक पाए।
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कौन संभालेगा व्यवसाय
रामसागर ने रायपुर में ट्रांसपोर्ट कंपनी का दफ्तर खोलकर मेहनत व लगन से सात ट्रक तैयार कर लिए। व्यवसाय में पत्नी शीला भी बराबर की हिस्सेदार थी। पति-पत्नी की हत्या होने से अब व्यवसाय को कौन संभालेगा। इस बात की चिंता वृद्ध दंपति को है और व्यवसाय बंद होने से घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने की आशंका है।
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पूरे परिवार को खत्म करने का इरादा तो नही था
पेराजोर गांव में हत्यारों का कहीं रामसागर समेत पूरे परिवार को खत्म करने का इरादा तो नहीं था, इस बात की भी चर्चा गांव में बनी रही। परिवार के सदस्यों के अलग अलग कमरों में सोने के कारण हत्यारे मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए। रामसागर, उसकी पत्नी व पांच वर्षीय बेटे की हत्या कर दी गई, जबकि वृद्ध दंपती रमेश व उनकी पत्नी रानी देवी अपनी पोतियों लक्ष्मी (10) व श्रद्धा (3) के बाहर वाले कमरे मे सो रहे थे। मुख्य दरवाजा बाहर से बंद होने के कारण शायद उनकी जान बच गई।