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यहां तो 'बांग्लादेशी' भी चुनेंगे सांसद

By Edited By: Published: Wed, 23 Apr 2014 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 01:01 AM (IST)
यहां तो 'बांग्लादेशी' भी चुनेंगे सांसद

करुणा सागर दुबे, कानपुर देहात

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कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में देश के नागरिक ही नहीं बांग्लादेशी भी सांसद का चयन करेंगे। रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र के तीन गांवों में करीब सवा तीन सौ विस्थापित बांग्लादेशी परिवार हैं। इन्हें भले ही देश की नागरिकता हासिल न हुई हो लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मतदाता का दर्जा दे दिया है।

वर्ष 1982 से 84 के बीच बांग्लादेश के रुद्रपुर से करीब तीन सौ विस्थापित परिवार रसूलाबाद आए थे और सियारी नाले के पास बस गए, जिसे बाद में महेन्द्र नगर का नाम दिया गया। महेन्द्र नगर सेक्टर एक व तीन में 150 परिवार हैं, जो ग्राम पंचायत भैसायां से संबद्ध हैं। सेक्टर चार व दो में निवास कर रहे 115 परिवार ग्राम पंचायत ताजपुर तरसौली से जुड़े हैं। 56 विस्थापित परिवार ग्राम पंचायत पहाड़ीपुर में भी रहते हैं। इन परिवारों का नेतृत्व बंगाली पुजारी रंजीत चक्रवर्ती करते हैं। मौजूदा समय में इन विस्थापित परिवारों के पास राशन कार्ड हैं और मतदाता सूची में भी नाम दर्ज हैं। विस्थापित परिवारों की संख्या बल का समर्थन पाकर उन्हीं के बीच के क्षितीश हलधर वर्ष 2001 के पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत भैसायां से प्रधान निर्वाचित हो गए थे। वर्ष 2006 के पंचायत चुनाव में जीत दर्ज कर कब्जा बरकरार रखा, बाद में बीमारी से उनकी मौत हो गई।

महेंद्रनगर बस्ती में रहने वाले विस्थापित प्रकाश राय का कहना है कि 32 साल पूर्व उनके परिजन यहां आए थे। तब से यहां निवास कर रहे। बहुत से लोग यहीं जन्मे। इसलिए अब वह बाहरी नहीं रह गए। मतदाता सूची में उनके नाम हैं। वोट भी डालेंगे। पहले भी वह लोग पंचायत व विधानसभा चुनाव में वोट डाल चुके हैं। नंदू दुलालदास का कहना है कि उन्हें यहां के लोगों ने न केवल शरण दी, बल्कि अपनाया भी। वह अब बाहरी नहीं हैं। विधान का कहना है कि उनके पूर्वज यहां आए थे। वह यहीं पैदा हुए। अब वह भी यहीं के नागरिक है।

जिलाधिकारी नितिन बंसल का कहना है कि विदेशी नागरिकों को देश में नागरिकता देने का फैसला भारत सरकार के स्तर पर होता है। सामान्य तौर पर ऐसे लोग जहां रहते हैं, अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा लेते हैं। रसूलाबाद क्षेत्र में विस्थापित बांग्लादेशियों का नाम मतदाता सूची में दर्ज होने का मामला संज्ञान में नहीं है। एसडीएम से विस्थापितों की शुरुआती संख्या व मौजूदा स्थिति का भी ब्योरा तलब किया जाएगा। इसके बाद ही कुछ कहना संभव होगा।


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