कानपुर के दिव्यांशु की फिल्म दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए नामित, जानिए क्या है कहानी
सोशल साइट्स पर चिपके रहने वालों पर केंद्रित कानपुर के श्यामनगर के दिव्यांशु की निर्मित शॉर्ट फिल्म वेब दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए नामित हुई है।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:03 PM (IST)
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। शौक यदि जुनून बन जाए तो नतीजा आसमान चूमता है। यह बात श्याम नगर के दिव्यांशु पर बिलकुल सटीक बैठती है। सोशल साइट्स पर चिपके रहने वालों पर केंद्रित उनकी शॉर्ट फिल्म 'वेब ' देश-दुनिया में छा जाने को बेताब है। यह फिल्म दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए नामित हुई है और 20 फरवरी को मुंबई में इसका प्रदर्शन किया जाएगा। दस मिनट की यह फिल्म सोशल साइट्स से चिपके रहने वाले युवाओं के लिए आइने से कम नहीं है।
दस मिनट की शार्ट फिल्म है 'वेब'
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज के स्नातक छात्र दिव्यांशु को शुरू से ही फिल्में बनाने का शौक था। अब तक आठ शॉर्ट फिल्में बना चुके दिव्यांशु ने तीन माह पहले मोबाइल में लगे रहने वाले यूथ पर फिल्म बनाने की शुरुआत की। दस मिनट की इंग्लिश मूवी 'वेब' की कहानी इंटरनेट पर सोशल साइट के संजाल में फंसे युवाओं की है। फिल्म का कैरेक्टर वान हर समय सोशल मीडिया पर ऑन रहता है। कहानी जिंदगी को लेकर उसकी जद्दोजहद और उसके दिमाग में चल रही उठापटक को लेकर है।
दिल्ली में हुई है शूटिंग
फिल्म की शूटिंग दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में हुई। इसमें संदेश देने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया पर दुनिया से जुडऩे के बाद भी व्यक्ति अकेला है, अपनों से कटा हुआ है। दिव्यांशु बताते हैं कि दो दिन पहले उन्होंने फिल्म को दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए भेजा था। उनके पास कल ई-मेल आया है। अब वह बड़ी फिल्में भी करना चाहते हैं।
दस मिनट की शार्ट फिल्म है 'वेब'
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज के स्नातक छात्र दिव्यांशु को शुरू से ही फिल्में बनाने का शौक था। अब तक आठ शॉर्ट फिल्में बना चुके दिव्यांशु ने तीन माह पहले मोबाइल में लगे रहने वाले यूथ पर फिल्म बनाने की शुरुआत की। दस मिनट की इंग्लिश मूवी 'वेब' की कहानी इंटरनेट पर सोशल साइट के संजाल में फंसे युवाओं की है। फिल्म का कैरेक्टर वान हर समय सोशल मीडिया पर ऑन रहता है। कहानी जिंदगी को लेकर उसकी जद्दोजहद और उसके दिमाग में चल रही उठापटक को लेकर है।
दिल्ली में हुई है शूटिंग
फिल्म की शूटिंग दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में हुई। इसमें संदेश देने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया पर दुनिया से जुडऩे के बाद भी व्यक्ति अकेला है, अपनों से कटा हुआ है। दिव्यांशु बताते हैं कि दो दिन पहले उन्होंने फिल्म को दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए भेजा था। उनके पास कल ई-मेल आया है। अब वह बड़ी फिल्में भी करना चाहते हैं।
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