Move to Jagran APP

कीमोथेरेपी को इंजेक्शन खत्म, मरीजों का पलायन

जागरण संवाददाता, कानपुर : कैंसर मरीजों के इलाज पर संकट गहराता जा रहा है। जेके कैंसर संस्थान में कीमो

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Feb 2017 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 07:44 PM (IST)
कीमोथेरेपी को इंजेक्शन खत्म, मरीजों का पलायन
कीमोथेरेपी को इंजेक्शन खत्म, मरीजों का पलायन

जागरण संवाददाता, कानपुर : कैंसर मरीजों के इलाज पर संकट गहराता जा रहा है। जेके कैंसर संस्थान में कीमोथेरेपी के लिए सबके जरूरी इंजेक्शन और दर्द निवारक दवाओं का स्टॉक खत्म हो चुका है। मरीजों और उनके तीमारदारों को बाहर से महंगे दामों पर इंजेक्शन खरीदने पड़ रहे हैं। महंगे इलाज के कारण अस्पताल में भर्ती 17 मरीज छुट्टी कराकर चले गए हैं। अधिकारियों ने बजट के लिए स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखा है।

loksabha election banner

जेके कैंसर संस्थान में रोजाना 120-150 की ओपीडी होती है। जबकि 106 मरीजों के भर्ती होने की व्यवस्था है। यहां करीब एक महीने से बजट का संकट है। कई दवाओं का स्टॉक सीमित रह गया था। अस्पताल की ओर से रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

कीमोथेरेपी में जरूरी हैं इंजेक्शन

कैंसर पीड़ित के लिए कीमोथैरेपी के संग इंजेक्शन और दवाएं चलती हैं। हर सप्ताह कोई न कोई इंजेक्शन का डोज जरूरी होता है।

दवा डोज कीमत (बाहर)

मेथोट्रेक्स्ट- सप्ताह में एक डोज 700-800 रुपए)

सिसप्लेटिन- तीन सप्ताह में एक बार 1500-2000 रुपए

डोकाईटेक्सिल- तीन सप्ताह में एक बार 13-14 हजार रुपए

फाइव एफयू- तीन सप्ताह में एक बार 1500-2000 रुपए

पैक्लीटेक्सिल- तीन हफ्ते में एक बार 4-5 हजार रुपए

ब्लड कैंसर की दवा खत्म

अस्पताल में ब्लड कैंसर की सबसे जरूरी दवा इमिटिनिब की गोलियां समाप्त हो गई हैं। एक गोली 300 से 400 रुपए की मिल रही है। दर्द निवारक बीपी मार्फिन की दवा भी खत्म हो गई है। यह कैंसर पीड़ितों के लिए जरूरी है। पेट के संक्रमण, मुंह, फेफड़ों, मूत्र इंफेक्शन की दवाओं का स्टॉक भी खत्म है।

अस्पताल में भर्ती 68 मरीज

अस्पताल में 68 मरीज रह गए हैं। सूत्र बताते हैं कि बाहर से इंजेक्शन और दवाएं मंगवाए जाने से मरीज छुट्टी कराकर घर जाने को मजबूर हैं।

बहन के इलाज को भाई परेशान

शुक्लागंज निवासी विशाल मौर्या की बहन अनामिका (29) को करीब तीन माह पहले बड़ी आंत के कैंसर का पता चला। उनका अस्पताल से इलाज चालू हो गया। कीमोथेरेपी के साथ इंजेक्शन लगने शुरू हो गए। अब वह इंजेक्शन न मिलने से परेशान हैं।

एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई भी मुश्किल

एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई की फिल्म का स्टॉक भी सीमित रह गया है। मार्च की शुरूआत तक ही जांचें हो पाएंगी। सूत्र बताते हैं कि जहां चार फिल्म दी जाती थी, अब दो या फिर एक ही फिल्म रिपोर्ट के साथ दी जा रही है।

'अस्पताल का बजट समाप्त हो गया है, जिससे दवा और इंजेक्शन का ऑर्डर नहीं हो पा रहा है। पुनर्विनियोग बजट के लिए स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखा गया है।'

- डा. एमपी मिश्रा, निदेशक, जेके कैंसर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.