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एग्जामिनेशन फोबिया की गिरफ्त में बोर्ड परीक्षार्थी

जागरण संवाददाता, कानपुर : 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाएं करीब आ चुकी हैं। इन परीक्षाओं की उल्टी गिनती

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 01:01 AM (IST)
एग्जामिनेशन फोबिया की गिरफ्त में बोर्ड परीक्षार्थी
एग्जामिनेशन फोबिया की गिरफ्त में बोर्ड परीक्षार्थी

जागरण संवाददाता, कानपुर : 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षाएं करीब आ चुकी हैं। इन परीक्षाओं की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही परीक्षार्थी इसे लेकर गंभीर हैं वहीं कई परीक्षार्थी ऐसे भी हैं जिन्हें इनके करीब आने से एक अनजाना सा डर भी सता रहा है। ऐसे में वह उन पढ़े हुए प्रश्नों के उत्तर व सवालों के जवाब भूलने लगे हैं जो उन्होंने शिद्दत से तैयार किए थे। यूपी व सीबीएसई बोर्ड के ऐसे साढ़े तीन सौ परीक्षार्थी इस डर को दूर करने के लिए मनोविज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से सलाह ले चुके हैं।

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मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के मनोवैज्ञानिक रोजाना ऐसे 15 से 20 छात्र-छात्राओं के फोन कॉल रिसीव कर रहे हैं जिनके दिलों की धड़कन परीक्षा की घड़ी ने बढ़ा दी है। परीक्षा से घबराहट के अलावा करीब 50 फीसद छात्र-छात्राएं शिथिलता के शिकार हैं। परीक्षाओं से डर व उनके नतीजों को लेकर वे साल भर याद किए गए प्रश्नों को भी भूलने लगे हैं।

पढ़ाई न करने के बनाने लगे बहाने : मनोविज्ञान केंद्र की सहायक मनोवैज्ञानिक विनीता त्रिपाठी के पास शहर के ऐसे अभिभावकों के फोन आ रहे हैं जिनके बच्चे परीक्षा की इस घड़ी में पढ़ाई न करने के बहाने बनाने लगे हैं। उनकी बातों को बार-बार टालने की कोशिश करते हैं।

यह हैं लक्षण :

-छात्रों को ऐसा लगता है कि याद किया हुआ भूल गए हैं

-नींद नहीं आती है

-भूख नहीं लगती है

-विभिन्न विषयों के प्रश्नों को लेकर तनाव बना रहता है

उपाय :

-नया पढ़ने के बजाय केवल रिवीजन पर ध्यान दें

-खाना हल्का व सुपाच्य खाएं

-छह से आठ घंटे की नींद अवश्य लें

-डेढ़ से दो घंटे पढ़ाई के बाद आधे घंटे के लिए साइकोसोमेटिक विश्राम (दिमाग को शांत करने के लिए) करें

-दस मिनट बाद दूध अथवा फल लेने के बाद ही पढ़ाई शुरू करें

-सुबह के समय योग व प्राणायाम को अपनी आदत में शुमार करें

-पानी व अन्य तरल पदार्थ खूब पिएं

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रोजाना 15 से 20 छात्रों के फोन आ रहे हैं। इसके अलावा अभिभावक भी अपने बच्चों की परीक्षा के तनाव को लेकर संपर्क कर रहे हैं। प्रतियोगिता बढ़ने के साथ परीक्षा का तनाव भी बढ़ रहा है।

-विनीता त्रिपाठी, सहायक मनोवैज्ञानिक मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र


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