उफ! ये संवेदनहीनता..
जागरण संवाददाता, कानपुर : हद है संवेदनहीनता की। बुधवार को किदवई नगर में वैन में आग लगने, मासू
जागरण संवाददाता, कानपुर : हद है संवेदनहीनता की। बुधवार को किदवई नगर में वैन में आग लगने, मासूम के झुलसने के बाद भी संभागीय परिवहन कार्यालय गंभीर नहीं हुए। वैन, ई-रिक्शा वाले भूसे की तरह बच्चों को भरकर स्कूल लाते ले जाते रहे और किसी ने उन्हें टोकने तक की जहमत नहीं उठाई। अब तो सवाल उठने लगे हैं कि कितने बड़े हादसे के बाद अफसर सक्रिय होंगे..?
शहर में नौनिहालों की जिंदगी खतरे में है। सारे नियम कायदे ताक पर रखकर स्कूली वैनों में 20 से 22 बच्चे ढोए जा रहे हैं। वैन की छत पर बस्तों का ढेर और अंदर भूसे की तरह बच्चे कभी भी देखे जा सकते हैं। ऊपर से एलपीजी किट कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। एलपीजी किट लगाकर बच्चों को ढो रही वैनों की जांच नहीं हो रही है। वैन ही नहीं बल्कि अब तो ई-रिक्शा भी बच्चों को लाने-ले जाने का काम कर रहे हैं। हालत यह है कि चालक की सीट के बगल में दो-दो बच्चे बैठाए जा रहे हैं। रिक्शे पर बाहर तक लटके बच्चे कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। इन वाहन का परमिट तो दूर चालकों के पास कॉमर्शियल लाइसेंस नहीं होने के बाद भी धंधा बेरोकटोक जारी है। शहर में सैकड़ों वाहन अवैध रूप से बच्चों को ढो रहे हैं। कई तो स्कूलों से संबद्ध नहीं हैं और निजी तौर पर बच्चों को ढो रहे हैं। इन सब हालात से बखूबी वाकिफ होने के बाद भी आरटीओ महकमे के अफसर खामोशी से आंखें मूंदे बैठे हैं बल्कि नसीहत देने वाले अंदाज में आरटीओ अफसर कहते हैं कि काफी कुछ अभिभावक भी दोषी हैं। अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर उनको भी चिंतित होना चाहिए। अफसरों से जब यह पूछा जाता है कि आपकी जिम्मेदारी, तो मौन साध लेते हैं और समय की कमी का हवाला देते हैं। --------------
''स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाने की रणनीति बना ली गई है। सख्ती से अभियान चलाया जाएगा। स्कूल प्रबंधतंत्र के साथ बैठक होनी है। दूसरे जिलों का भी काम देखने के चलते प्रवर्तन दस्ता पूरा समय नहीं दे पाया है।
- राकेश सिंह, आरटीओ प्रवर्तन