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खतरे में नौनिहाल, जिम्मेदार बेपरवाह

जागरण संवाददाता, कानपुर : किदवई नगर में स्कूली वैन में अग्निकांड का हादसा यह बताने के लिए का

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 03:00 AM (IST)
खतरे में नौनिहाल, जिम्मेदार बेपरवाह
खतरे में नौनिहाल, जिम्मेदार बेपरवाह

जागरण संवाददाता, कानपुर : किदवई नगर में स्कूली वैन में अग्निकांड का हादसा यह बताने के लिए काफी है कि यहां सिस्टम नौनिहालों की जिंदगी को लेकर भी संजीदा नहीं है। स्कूली वाहनों के मानकों की जांच के लिए पूरा तंत्र है लेकिन जिम्मेदार आंखें मूंदे हैं। खतरे से जूझकर रोजाना बच्चे स्कूल आते-जाते हैं लेकिन अफसर लकीर पीटने तब निकलते हैं, जब कोई हादसा हो जाता है।

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पिछले दिनों मुख्यालय के 15 से 31 जुलाई तक स्कूली वाहनों की जांच के आदेश के बाद भी न कोई चरणबद्ध अभियान चलाया गया और न ही धरातल पर पुख्ता कार्रवाई दिखी। बस चंद स्कूलों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की खानापूरी कर ली गई। वो तो बच्चों की किस्मत ही रही कि वैन अग्निकांड में कोई अनहोनी नहीं हुई। ऐसे में बुधवार को हुए हादसे ने फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर संभागीय परिवहन कार्यालय के अधिकारी कब और कैसे जागेंगे।

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कागजों में कार्रवाई : आरटीओ के आंकड़े बताते हैं कि अभी तक 19 बसों और 26 वैन के चालान हुए और बंद कराया गया। दिलचस्प बात यह है कि 31 जुलाई तक अभियान चलाकर कोरम पूरा कर दिया गया था।

इनको चलाना था अभियान : आरटीओ में तीन प्रवर्तन दल और दो पीटीओ (यात्री कर निरीक्षक) हैं, जिनको इनके खिलाफ अभियान चलाना था।

यह है जवाब : अभियान के सवाल पर आरटीओ अफसरों का जवाब केवल खुद को बचाने तक सीमित है। आरटीओ प्रवर्तन राकेश सिंह कहते हैं कि स्कूलों को नोटिस देकर उनके यहां पंजीकृत और संबद्ध वाहनों का ब्योरा मंगाया गया है। कार्रवाई हो रही है।

यह हैं हालात : खुद आरटीओ कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि वह बेपरवाह है। अभी भी पांच दर्जन से ज्यादा स्कूली वाहन बिना फिटनेस बच्चों को ढो रहे हैं जिसमें लगभग 39 बसें और 22 वैन शामिल हैं।

सड़क पर सैकड़ों, कागज पर कम : स्कूली बच्चों को ढोने में सैकड़ों वाहन लगे हैं। एलपीजी लगी निजी वैन से बच्चे ढोए जा रहे हैं। कई बसें भी इस काम में लगी हैं। जबकि आरटीओ में 659 वाहन ही बच्चों को ढो रहे हैं, जिनमें 444 बसें और 128 वैन हैं।

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अभी ज्वाइन किया है। चरणबद्ध तरीके से अभियान चलाने की रूपरेखा तैयार कर सख्ती की जाएगी। किसी भी हालत में मानक विहीन वाहन स्कूलों में नहीं चलेंगे।

- संजय सिंह, आरटीओ

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यह हैं मानक

- स्कूली वाहन सुनहरे पीले रंग का होना चाहिए।

- बस में चालक के अलावा एक पुरुष या महिला सहायक होंगे जो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।

- बस के चालक व सहायक निर्धारित यूनीफॉर्म में रहेंगे।

- चालक का पांच वर्ष पुराना कॉमर्शियल लाइसेंस होना चाहिए।

- वाहन का टैक्स जमा होने के साथ ही फिटनेस प्रमाणपत्र, बीमा होना चाहिए।

- वाहन के पीछे स्कूल प्रबंधन का मोबाइल नंबर अंकित होना चाहिए।

- वाहन में अग्निशमन और प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना चाहिए।

- चालक की सीट के पास स्पीड अलार्म की व्यवस्था हो।

- एलपीजी वाहन में अग्निशमन संयंत्र की व्यवस्था हो।


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