अध्यक्ष पद अनारक्षित होने से बांछें खिली, वार्र्डो में बिगड़ा खेल
-नगर पालिका परिषद घाटमपुर संवाद सहयोगी, घाटमपुर: नगर पालिका गठन के बाद पहली बार अध्यक्ष पद अनारि
-नगर पालिका परिषद घाटमपुर
संवाद सहयोगी, घाटमपुर: नगर पालिका गठन के बाद पहली बार अध्यक्ष पद अनारक्षित घोषित हुआ है। इससे चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों की बांछें खिल गई हैं। उधर वार्र्डो के आरक्षण में फेरबदल ने कई स्थापित सभासदों का खेल जरूर बिगाड़ दिया है।
1972 में घाटमपुर व सिहारी ग्राम पंचायतों को मिलाकर टाउन एरिया का गठन किया गया था। जिसे 1981 में जनता पार्टी शासनकाल के दौरान नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया था। 1989 में पहली बार हुए चुनाव में राम स्वरूप गुप्ता (लल्लू बाबू) नगर पालिका अध्यक्ष बने थे। तब तक एकल पदों में आरक्षण का प्रावधान नहीं था। 1995 व 2000 में हुए निकाय चुनाव में यहां पालिका अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था। इसपर क्रमश: स्व. सूर्यपाल यादव व राजेश चौरसिया निर्वाचित हुए थे। 2006 में महिला के लिए आरक्षित होने के चलते नीलम चौरसिया नगर पालिका अध्यक्ष बनी थी और 2012 में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित अध्यक्ष की कुर्सी पर संजय सचान चुनाव जीते थे।
गुरुवार देर रात घोषित हुई आरक्षण सूची में पहली बार अध्यक्ष की कुर्सी अनारक्षित घोषित हुई है। जिससे सभी वर्ग के दावेदारों में खुशी की लहर है। शुक्रवार सुबह से ही करीब एक दर्जन अध्यक्ष पद के दावेदार मोहल्लों का दौरा कर चुनावी गोटियां बिछाते देखे गए।
उधर वार्र्डो का आरक्षण घोषित होने से कई कद्दावर सभासदों की गणित जरूर गड़बड़ा गई है और अब वह आसपास मोहल्लों में नजरें गड़ाने लगे हैं। कई बार से अनारक्षित अशोकनगर उत्तरी से राकेश तिवारी गुड्डू पंडित लगातार तीन बार सभासद निर्वाचित हो रहे थे। पिछली बार तो वह निर्विरोध सभासद चुने गए थे। लेकिन इस बार इस सीट को महिला के लिए आरक्षित घोषित कर दिया गया है। लगातार तीन बार से सभासद बन रहे नफीस कुरैशी का वार्ड कटरा भी इस बार महिला के लिए आरक्षित हो गया है। दो बार सभासद बने राजपूत साहू का वार्ड बसंत बिहार इस बार अनुसूचित महिला के लिए आरक्षित हो जाने के बाद उनके नगर पालिका सदन पहुंचने में रोड़ा है। इसके अलावा कई अन्य वार्र्डो से भी सभासद बनने की तैयारी में जुटे लोगों के सपनों पर आरक्षण ने तुषारापात किया है।