मन में ठाना था, कुछ करके दिखाना है : ज्वाला
ज्वाला गट्टा ने कहा कि एक समय ऐसा आया जब लोगों ने मेरे सामने ही तंज कसे कि ज्वाला लंबी है, हैवी है, इसके साथ बैडमिंटन क्यूं खेलें, मैने भी ठान लिया था कि नाम रोशन करके दिखा दूंगी।
कानपुर [समीर दीक्षित]। विश्व स्तर पर जो अपना सौ फीसद प्रदर्शन करके दिखाए वहीं बेहतर खिलाड़ी है। यह मानना है अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गट्टा का।
ज्वाला गट्टा ने अनुभवों को 'दैनिक जागरण' के साथ साझा करते हुए कहा कि एक समय ऐसा आया जब लोगों ने मेरे सामने ही तंज कसे कि ज्वाला लंबी है, हैवी है, इसके साथ बैडमिंटन क्यूं खेलें लेकिन, मैने भी ठान लिया था कि अपने हुनर से एक दिन नाम रोशन करके दिखा दूंगी। उन्होंने बताया कि जल्द कानपुर को तोहफे के रूप में ग्लोबल एकेडमी ऑफ बैडमिंटन बाई ज्वाला गïïट्टा मिलेगी, जिसमें बैडमिंटन के प्रति लगाव रखने वाले युवा प्रशिक्षण ले सकेंगे।
कानपुर के एक स्कूल में कल ज्वाला गट्टा ने कई मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि बेहतर खिलाड़ी वह है जो विश्व स्तर पर अपना सौ फीसद प्रदर्शन करके दिखाए। खिलाड़ी के साथ फाइनेंसियल सपोर्ट भी होना चाहिए क्योंकि वह हर कदम पर एक अहम भूमिका के रूप में होता है। नेशनल चैंपियन बनना बहुत बड़ी बात है, जिसमें स्कूल का साथ मिल जाए तो और बढिय़ा। उन्होंने बताया कि प्लेयर हूं इसलिए हर खेल पसंद है चूंकि त्वचा संबंधी परेशानियां रहती हैं, इसलिए इंडोर गेम्स में हाथ आजमाए।
उनका कहना है कि वह जो भी काम करती हैं उसे एक चुनौती के रूप में लेती हैं। चाहे किसी चैंपियनशिप की बात हो या टूर्नामेंट की। एक समय ऐसा आया जब लोगों ने मुंह पर आकर कहा, इसके साथ क्यूं खेलें। मेरी लंबाई, वजन को लेकर ताने दिए पर मेरा लक्ष्य तय था। मुझे अपनी पहचान खुद बनानी थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि बॉलीवुड में जाने के लिए तो कई लोग कह चुके हैं लेकिन, मैं वहां काम नहीं कर पाऊंगी। न ही मैंने ऐसा कुछ सोचा है। हां, बैडमिंटन में देश के हर हिस्से से प्रतिभाएं सामने आएं इसके लिए जो प्रयास होंगे, करूंगी। मेरा मानना है कि टैलेंट हर जगह है। खेल कोई भी हो, बस आप उसको दिल लगाकर खेलें। पूरी मेहनत करें सफलता जरूर मिलेगी और जल्दी-जल्दी निराश होने से बचें।
अवार्ड के लिए नहीं करना चाहिए आवेदन
ज्वाला गट्टा ने कहा कि अवार्ड कोई भी हो, उसके लिए आवेदन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा बैडमिंटन अन्य खेलों की अपेक्षा काफी महंगा खेल है, जबकि हमारे देश में 80 फीसद आबादी मध्यम व निम्न वर्गीय है। ऐसे में इस खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को निजी अकादमी खोलने की दिशा में सोचना होगा। अकादमी ऐसी हो जिसमें हर शहर से प्रतिभावान युवा को मौका मिले। इस संबंध में वह सरकार से बात करेंगी। सिर्फ हैदराबाद से ही बैडमिंटन के खिलाड़ी सामने आएं या एक ही निजी अकादमी को बढ़ावा दिए जाए यह भी ठीक नहीं। इसमें बदलाव दिखना चाहिए।