लेबर कोड के खिलाफ बना संयुक्त संघर्ष मोर्चा
जागरण संवाददाता, कानपुर : श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने वाले 15 कानूनों को मिलाकर एक लेब
जागरण संवाददाता, कानपुर : श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने वाले 15 कानूनों को मिलाकर एक लेबर कोड बनाने के खिलाफ ईपीएफओ और ईएसआइसी के कर्मचारियों ने संयुक्त संघर्ष मोर्चा गठित किया है। उनका कहना है कि वह अपने विभाग की पहचान बनाए रखना चाहते हैं।
कर्मचारियों ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) का गठन संसद में पारित कानून के आधार पर हुआ है। दोनों ही विभाग कर्मचारियों के हित का संरक्षण कर रहे हैं। ईएसआइसी की घोषणा तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी और वह स्वयं पहले बीमित व्यक्ति बने थे। विभाग ने जो पहला बीमा कार्ड जारी किया वह उनके नाम का ही था। कर्मचारी नेताओं ने मोर्चे का गठन करते हुए कहा है कि यह तर्क भी उचित नहीं है कि संचालन के लिए दोनों विभागों में स्टेट बोर्ड है। वास्तव में वह राज्य कमेटियां हैं जिनमें जन प्रतिनिधियों के सीमित अधिकार हैं।
'विभागों का विलय नहीं होना चाहिए। कर्मचारियों की सेवा शर्तो में भी कोई बदलाव करना उचित नहीं होगा। लेबर कोड बनाकर लेबर बोर्ड बनाया जाए तो वह राज्य में नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधीन होना चाहिए।'
- राजेश कुमार शुक्ला, महामंत्री, ईपीएफ इम्पलाइज यूनियन, उत्तर प्रदेश।
'विलय को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। आल इंडिया फेडरेशन के नेताओं की श्रम मंत्री से एक चक्र वार्ता हो चुकी है। समाधान न निकला तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।'
- शिव कुमार यादव, महामंत्री, एसिक इम्पलाइज यूनियन उत्तर प्रदेश