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मंदिर मसला बाहर न सुलझे तो कोर्ट से मिले न्याय : राज्यपाल

रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का राज्यपाल राम नाईक ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यदि आपसी सहमति से बात नहीं बनती तो फिर कोर्ट से न्याय मिले।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 07:44 PM (IST)
मंदिर मसला बाहर न सुलझे तो कोर्ट से मिले न्याय : राज्यपाल
मंदिर मसला बाहर न सुलझे तो कोर्ट से मिले न्याय : राज्यपाल

कानपुर (जेएनएन)। रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का राज्यपाल राम नाईक ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यदि आपसी सहमति से बात नहीं बनती तो फिर कोर्ट से न्याय मिले। उन्होंने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के थाने में निरीक्षण की पहल को बेहतर कदम बताया और इसे सुशासन का संकेत कहा।
गुरुवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के 18वें दीक्षा समारोह में बतौर अध्यक्ष पहुंचे राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री का दायित्व 24 घंटे रहता है।

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बूचड़खाने बंद किए जाने के सवाल पर कहा कि जो बूचड़खाने मानक का पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें बंद किया जा रहा है। सही रास्ते पर चलने वाले बूचड़खानों को अपनी बात रखने का मौका भी सरकार दे रही है। नई सरकार ने अपने वादों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। मंत्रियों ने अच्छे ढंग से अपना काम शुरू किया है। राज्यपाल ने बताया कि चुने गए मंत्रियों को चाय पार्टी पर बुलाने का उद्देश्य भी यही था कि उनकी जिम्मेदारियों पर चर्चा की जाए। 30 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। सभाकक्ष का संचालन ठीक तरह हो, इसका ध्यान सभी को रखना होगा। विपक्ष को अपनी बात कहने का अधिकार मिले। प्रदेश के विकास के लिए सरकार के निर्णय को व्यवहार में लाने का रास्ता खुला रहे।

519 छात्र-छात्राओं को उपाधि, 37 को पदक : सीएसए के दीक्षा समारोह में बीएससी, एमएससी व पीएचडी के 519 छात्र छात्राओं को राज्यपाल ने उपाधि प्रदान की। इनमें 37 मेधावियों को कुलाधिपति स्वर्ण, विश्वविद्यालय रजत, विश्वविद्यालय कांस्य, विश्वविद्यालय बुक प्राइज पुरस्कार प्रदान किए गए। समारोह में अव्यवस्था को लेकर राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए खुद माइक थाम लिया। छात्रों के नाम बुलाए जा रहे थे, लेकिन उनके प्रमाण पत्र मंच पर नहीं थे। आखिरकार उन्हें कहना पड़ा कि अगर उपाधि बंट चुकी हो तो मैं बैठ जाऊं।
 


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