पूजा करने लायक भी नहीं बचा गंगाजल
गंगा बैराज से वाजिदपुर तक अलग-अलग स्थानों पर लिए गए पानी के 15 नमूनों की इसरो ने जांच की जिसकी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। गंगा जल अब पूजा करने के लायक भी नहीं बचा है। यह बात इसरो की टीम के वैज्ञानिकों व छत्रपति शाहूजी महराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के प्रोफेसरों द्वारा गुरुवार को गंगा बैराज से वाजिदपुर तक अलग-अलग स्थानों पर लिए गए पानी के 15 नमूनों की जांच रिपोर्ट में सामने आई।
टीम के सदस्यों का कहना था कि वाजिदपुर स्थित गांव में लिए गए नमूने के परीक्षण में पानी में पीएच की मात्रा नौ निकली, जबकि मानकों के मुताबिक साढ़े आठ से ऊपर नहीं होनी चाहिए। इसी तरह घुलित आक्सीजन की मात्रा तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम निकली जबकि इसका मानक पांच मिलीग्राम प्रतिलीटर होना चाहिए।
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वहीं पानी में गंदगी (मैलापन या टर्बिडिटी) मानक के अनुसार एक या एक से पांच तक होनी चाहिए। मगर, मौके पर यह मात्रा वाजिदपुर में 20-25 के बीच रही। हालांकि, अन्य स्थानों के लिए भी टीम के सदस्यों ने कहा पूरी रिपोर्ट बेहद खराब है।
रिपोर्ट है तैयार: इसरो व सीएसजेएमयू के बीच करार के दौरान दो साल के इस प्रोजेक्ट में अब तक गंगा के पानी से जो नमूने लिए गए उनकी दो निरीक्षण (पिछली) रिपोर्ट बनकर तैयार है। इसके अनुसार गंगा के पानी की स्थिति बेहद खराब है।
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