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फिलहाल पनकी पावर हाउस को जीवनदान

जागरण संवाददाता, कानपुर : पनकी पॉवर प्लांट की पुरानी दोनों इकाइयां फिलहाल बंद नहीं होंग

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Oct 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Oct 2017 03:00 AM (IST)
फिलहाल पनकी पावर हाउस को जीवनदान
फिलहाल पनकी पावर हाउस को जीवनदान

जागरण संवाददाता, कानपुर : पनकी पॉवर प्लांट की पुरानी दोनों इकाइयां फिलहाल बंद नहीं होंगी। पॉवर कारपोरेशन ने प्लांट चलाने के लिए समय सीमा 21 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। इसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने प्लांट फिर से शुरू करने के लिए तेल और कोयले की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है।

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पनकी पावर हाउस में बिजली उत्पादन के लिए दो सब क्रिटिकल यूनिट सन् 1967 में स्थापित की गई थी। इनकी मियाद समाप्त होने के बाद 30 सितंबर 2017 में इन्हें बंद करने का फैसला सरकार ने लिया था, लेकिन इस पर अभी भी आखिरी फैसले को लेकर उहापोह जैसी स्थिति बनी हुई है। पनकी प्लांट के महाप्रबंधक एचपी सिंह ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन ने दोनों इकाइयां 21 अक्टूबर तक चलाए जाने की अनुमति दे दी है। फिलहाल कोयला और तेल समाप्त हो जाने के बाद प्लांट बंद है। कोयले और तेल की मांग की गई है। माना जा रहा है कि प्रदेश में बिजली की कमी के चलते सरकार प्लांट शुरू करने की अनुमति दी है। समय सीमा और भी आगे बढ़ाई जा सकती है। -----------------

सिंचाई विभाग से अभी नहीं मिली एनओसी

660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट की राह में अभी सभी बाधाएं दूर नहीं हुई हैं। परियोजना के लिए सर्वाधिक जरूरत पानी की उपलब्धता है और सिंचाई विभाग से अभी एनओसी नहीं मिली है।

वर्तमान में पनकी प्लांट का लोअर गंगा कैनाल की पनकी शाखा से 150 क्यूसेक पानी का अनुबंध है। इस पानी से स्टीम बनती है और प्लांट का टरबाइन चलता है। हालांकि पुरानी दोनों इकाइयां रोजाना 45-50 क्यूसेक पानी इस्तेमाल कर पा रही हैं। बाकी पानी वापस नहर में जा रहा है। जब 660 मेगावाट का प्रस्तावित प्लांट लगेगा तो करीब 160 क्यूसेक (40 करोड़ लीटर) पानी की आवश्यकता होगी। इस जरूरत की पूर्ति करने के लिए एनजीटी ने प्लांट को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अपनी जरुरत का 80 फीसद पानी सीवर के ट्रीट किए हुए पानी से पूरा करें। बढ़े हुए पानी की जरूरत पूरी करने के लिए सिंचाई विभाग से एनओसी मांगी गई है और मामला फिलहाल शासन में लंबित है।

तकनीकी कसौटी पर प्रस्तावित प्लांट

प्रस्तावित क्षमता : 660 मेगावाट

लागत : 4720 करोड़ रुपये

चिमनी : 275 मीटर

राख निकलेगी : 0.98 मीट्रिक टन प्रति साल (32 फीसद राखयुक्त कोयला)


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