प्रदेश में महंगी हुईं सीबीएसई और आईसीएसई की किताबें
दुकानदारों का कहना है 10 से 15 फीसदी तक किताबों के दाम बढ़े हैं, ऐसे में अभिभावकों की जेबों पर डाका पड़ना तय है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। आपका बच्चा सीबीएसई या आइसीएसई बोर्ड से पढ़ाई कर रहा है तो महंगाई झेलने को तैयार हो जाएं। उसकी किताबें हर साल की तरह फिर महंगी हो गई हैं। दुकानदारों का कहना है 10 से 15 फीसदी तक किताबों के दाम बढ़े हैं। ऐसे में अभिभावकों की जेबों पर डाका पड़ना तय है। फिलहाल बाजार में एनसीईआरटी की सभी किताबें नहीं आई हैं। वहीं निजी प्रकाशकों की किताबें पहले ही आ चुकी हैं। निजी प्रकाशकों की किताबों के दाम भी 20 फीसद तक बढ़ गए हैं।
पिछले साल बढ़े थे 15 से 20 फीसद तक रेट: वर्ष 2016 में किताबों के रेट 15 से 20 फीसद तक बढ़े थे। दुकानदारों का कहना है कि कागज महंगा होने के चलते किताबों के दाम बढ़ते हैं। स्कूलों से चलता कमीशन का खेल: किताबों में कमीशन का खेल स्कूलों से चलता है। शहर में कुछ ऐसे स्कूल संचालक हैं जो किताबें उपलब्ध कराने का पूरा जिम्मा दुकानदारों को दे देते हैं। हालांकि इसके पीछे उन्हें मोटा कमीशन दिया जाता है। ऐसे में दुकानदार तय दाम से ज्यादा दामों में किताबें बेचते हैं।
सत्र के असमंजस में फंसीं सरकारी किताबें: सरकारी विद्यालयों में इस बार भी बच्चे शायद किताबों का इंतजार करते रह जाएं। सरकारी किताबों के लिए अभी तक टेंडर ही नहीं जारी किए गए हैं। ऐसे में किताबें छपेंगी कब, बच्चों को मिलेंगी कब, इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। दरअसल, चुनाव के चलते बोर्ड परीक्षाएं देर से आयोजित होने के कारण यह तस्वीर भी साफ नहीं है कि सत्र अप्रैल से शुरू होगा या नहीं।
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सभी कक्षाओं की एक जैसी स्थिति: कक्षा एक से लेकर आठवीं तक किताबें बच्चों को बीते साल सितंबर माह में मिल पायी थीं। नौवीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में कमोबेश यही स्थिति रही। 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्रओं की स्थिति यह है कि वर्ष 2016 में पाठ्यक्रम बदलने से छात्र पुरानी किताबों से नहीं पढ़ सकते। बीते कुछ सालों से अप्रैल माह में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा का सत्र शुरू हो रहा था। इस साल विधानसभा चुनावों के चलते बोर्ड परीक्षाएं एक माह देरी से शुरू हुईं जो अभी चल रही हैं। ऐसे में सत्र एक अप्रैल से शुरू होगा या नहीं, यह समस्या भी प्रकाशकों के सामने आ गई है।
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