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हाथों में बेटी का शव, पांव में कानून की बेडि़यां

गौरव दीक्षित, कानपुर : रेल में सफर के दौरान तीन माह की बेटी की मौत। सिर पर पहाड़ टूटने ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 01:43 AM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 01:43 AM (IST)
हाथों में बेटी का शव, पांव में कानून की बेडि़यां
हाथों में बेटी का शव, पांव में कानून की बेडि़यां

गौरव दीक्षित, कानपुर : रेल में सफर के दौरान तीन माह की बेटी की मौत। सिर पर पहाड़ टूटने जैसी इस घटना के बाद एक दंपती के साथ बेदर्द सिस्टम की वजह से जो कुछ हुआ, उससे उसका दर्द कई गुना बढ़ गया। पंचनामा और पोस्टमार्टम की कानूनी प्रक्रिया के नाम पर दंपती को घंटों सेंट्रल स्टेशन पर परेशान होना पड़ा। दंपती स्टेशन पर ही हाथों में बेटी का शव लिए बदहवास रोते रहे। आखिर में परिजन को खुद आगरा से कानपुर आकर दंपती को संभालना पड़ा।

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बिहार के आरा जनपद निवासी चंद्रशेखर बुधवार को अपनी पत्‍‌नी पूनम और तीन महीने की बच्ची के साथ जियारत एक्सप्रेस से आरा से जयपुर के लिए रवाना हुआ था। जयपुर में पूनम का परिवार रहता है। रास्ते में बच्ची की तबियत अचानक खराब हो गई। पूनम को पता ही नहीं चला कि बच्ची ने कब उसकी गोद में दम तोड़ दिया। कानपुर से कुछ पहले किसी अन्य यात्री ने रेलवे कंट्रोल रूम को फोन करके एक बच्ची की मृत्यु के बारे में सूचना दे दी। सुबह पौने नौ बजे ट्रेन कानपुर सेंट्रल पर रुकी तो डॉक्टर के साथ टीम कोच में पहुंची। डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद जीआरपी ने पंचनामा और पोस्टमार्टम के नाम पर दोनों को नीचे उतार लिया। इसके बाद शुरू हुई दंपती की मुसीबतों की एक और कहानी।

बच्ची का पिता बेटी का शव गोद में लिए पत्‍‌नी के साथ करीब चार घंटे तक सेंट्रल पर बैठा रोता-बिलखता रहा लेकिन जीआरपी की कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुई। किसी तरह मामला जीआरपी प्रभारी राममोहन राय तक पहुंचा, तब जाकर पंचनामा भरा गया। बच्ची की मौत बीमारी से हुई है, इसलिए वह पोस्टमार्टम नहीं चाहता। चंद्रशेखर को केवल इतना ही लिखकर देना था और इस प्रक्रिया को पूरा करने में उसे पांच घंटे लग गए। हालांकि तब तक जीआरपी के ऊलजुलूल सवालों से दंपती इतना टूट चुके थे कि आगे की सफर की हिम्मत टूट गई। वह प्लेटफार्म एक पर ही बैठे रहे। बाद में आगरा में रहने वाले उसके परिजन रात आठ बजे कानपुर सेंट्रल पहुंचे और उन्हें अपने साथ ले गए।

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बेटी की मौत से अनजान रही मां

दंपती करीब 11 घंटे स्टेशन पर रहा। इस दौरान पूनम को पता नहीं चला कि उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी है। चंद्रशेखर बेटी के बीमार होने का बहाना बनाकर समझाता रहा।


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