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कानपुर में गरीब छात्रों का पैसा खा गए 23 कॉलेज

रिपोर्ट के मुताबिक 23 ऐसे कॉलेज हैं, जिन्होंने कूटरचित ढंग से छात्रों के खाते से शुल्क प्रतिपूर्ति, छात्रवृत्ति और अन्य धनराशि हड़प ली।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 01:45 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 01:45 PM (IST)
कानपुर में गरीब छात्रों का पैसा खा गए 23 कॉलेज
कानपुर में गरीब छात्रों का पैसा खा गए 23 कॉलेज

कानपुर (जितेंद्र शर्मा)। सरकार गरीब छात्रों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति दे रही है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों ने इसे जेब भरने का जरिया बना लिया है। शहर के नामचीन समूहों के 23 कॉलेजों की जांच हुई। रिपोर्ट में सभी के गबन उजागर हो गए, लेकिन अब जांच रिपोर्ट दबाने की कोशिश चल रही है।

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हालांकि रेंगते-रेंगते डीएम तक पहुंची रिपोर्ट आखिरकार कार्रवाई के लिए मुख्य विकास अधिकारी को सौंप दी गई है। धनाभाव में गरीब छात्रों की उच्च शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को केंद्र सरकार से छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति मिलती है, जबकि सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए राज्य सरकार पैसा भेजती है। आवेदन की व्यवस्था ऑनलाइन कर दी गई है। इसके बावजूद बैंकों में सेटिंग कर या छात्रों पर दबाव बनाकर शिक्षण संस्थान वह पैसा हड़प रहे हैं।

विकास भवन स्थित समाज कल्याण विभाग में लगातार ऐसी शिकायतें आने के बाद पूर्व समाज कल्याण अधिकारी अलख निरंजन मिश्र ने जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक से इसकी जांच कराई। जून के शुरू में बैंक प्रबंधक ने जो रिपोर्ट दी, वह चौंकाने वाली थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 23 ऐसे कॉलेज हैं, जिन्होंने कूटरचित ढंग से छात्रों के खाते से शुल्क प्रतिपूर्ति, छात्रवृत्ति और अन्य धनराशि हड़प ली। इनमें तीन बड़े समूहों के ही अधिकांश कॉलेज हैं। दो समूहों के सात-सात तो एक समूह के छह संस्थानों ने छात्रवृत्ति में गबन किया है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी ने शिक्षण संस्थानों को काली सूची में डालने और मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति के साथ जिलाधिकारी के लिए रिपोर्ट माह की शुरुआत में ही प्रेषित की थी। मगर, उनका तबादला होने के बाद रिपोर्ट दबाने के प्रयास जिला समाज कल्याण विभाग से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक शुरू हो गए। मगर, जैसे-तैसे रिपोर्ट डीएम तक पहुंच ही गई। अब इस जांच के आधार पर मुख्य विकास अधिकारी अरुण कुमार को कार्रवाई करना है।

राजनीतिक प्रभाव से संशय में कार्रवाई: जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक द्वारा तथ्यों के आधार पर जांच की गई है। उस जांच में काफी समय लगा था। उसके बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। अभी भी संशय ही है कि गबन करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई हो। दरअसल, इनमें से एक बड़ा शिक्षण समूह भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी के खास रिश्तेदार का है, जबकि दूसरे दो शिक्षण समूहों के मालिकान का भी सत्ता में पूरा दखल है।

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जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने इस मामले पर कहा, 'मुझे चार दिन पहले ही जांच रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट कॉलेजों के खिलाफ है। मुख्य विकास अधिकारी को रिपोर्ट भेज दी है। तथ्यों को परखकर उन्हें कॉलेजों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।'

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