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खून और पसीना एक कर रहे देश के किसान और जवानः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए और फिर कैलाश भवन सभागार में बदलते जलवायु में छोटे किसानों की टिकाऊ खेती विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 02:06 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 04:32 PM (IST)
खून और पसीना एक कर रहे देश के किसान और जवानः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
खून और पसीना एक कर रहे देश के किसान और जवानः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

कानपुर (जेएनएन)। देश में बने उत्पादों का विदेशों में एक बड़ा बाजार बनता जा रहा है। विदेशी व्यापार में खाद्य पदार्थों का हिस्सा 11 फीसद हिस्सा है! 2025 तक यह लक्ष्य एक ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुंचाने का है। हमें ऐसे उत्पाद विदेशों मेें निर्यात करने चाहिए जो विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाले हों। क्योंकि इन उत्पादों से भारत का नाम भी जुडा होता है! फूड प्रोसेसिंग से जुडे हर उद्यमी के लिए यह जरूरी है कि फूड सिक्योरिटी स्टैंडर्ड अथाॅरिटी आॅफ इंडिया के मानकों व विश्वस्तरीय दूसरी संस्थाओं के मानकों पर उनके उत्पाद खरे उतरें। यह बातें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेें जलवायु परिवर्तन में छोटे किसानों में खेती कैसे लाभप्रद हो विषय पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं।

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किसानों की आय दोगुनी करने का जो लक्ष्य तय किया गया है उसे कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से पूरा किया जा सकता है। सरकार ने पर ड्रप मोर क्राॅप का संदेष दिया है जिससे किसानोें को उनकी मेहनत का पूरा लाभ मिल सके। खाद्यान्न के साथ किसान मुर्गी पालन, बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन कर सकते हैं। उनके उत्पादों का समय पर अच्छा मूल्य देने के लिए मार्केटिंग व फूड प्रोसेसिंग जैसी योजनाओं पर काम किया जा रहा है। छोटे किसानों को फूड प्रोसेसिंग से जोडे जाने की जरूरत है जबकि महिलाओं का समाज सेवी समूह बनाकर उन्हें भी इस काम से जोडा जा सकता है। महिलाओं की उद्यमिता का लिज्जत पापड़ एक बडा उदाहरण है। कार्यक्रम में राज्यपाल रामनाईक, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह, सोसाइटी फाॅर एग्रीकल्चर प्रोफेशनल के अध्यक्ष डा एके सिंह व कुलपति प्रो सुशील सोलोमन समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

सरहदों पर सेना व खेतों में किसान बहा रहे पसीना
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान व जय किसान का जो नारा दिया था वह आज और भी प्रासंगिक हो गया है। सरहदों पर चैकसी रखते हुए देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए सैनिक अपनी कुर्बानी दे रहे हैं। आतंकवादियों से निरंतर लड़ते हुए वह सरहद की निगहबानी कर रहे हैं। वहीं देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किसान पसीना बहा रहा है। दोनों देश के विकास व सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। किसानों को सरकार उनकी फसल का अच्छा मूल्य देने के साथ स्वायल हेल्थ कार्ड जैसी उपयोगी योजनाएं लाई है। उनकी आय के नए रास्ते भी खोले जा रहे हैं।

13 राज्य करते हैं सूखे का सामना
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में 60 फीसद खेती बारिश पर आधारित है। ऐसे में प्रतिवर्ष 13 राज्यों को सूखे का सामना करना पडता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कहा था कि किसान देश के केंद्रबिंदु हैं। वे राष्ट्र के निर्माता होते हैं। कम पानी में उत्पन्न होने वाली फसलों व पानी का पूरा इस्तेमाल करने के बारे में किसानों को जागरूक करने की जरूरत है। हरियाणा के करनाल जिले में किसानों का समूह इस बात की मिसाल हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों की मदद से पराली से खाद बनाना प्रारंभ कर दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली की आम की प्रजाति आम्रपाली व मल्लिका की हाईब्रिड प्रजाति से उडीसा व झारखंड के किसानों की आय बढाने में सफलता मिली है। इसके अलावा नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा की अविरता व निर्मलता के साथ कृषि विकास को बल दिया जा रहा है।

संस्था अनेक लेकिन उद्देश्य एक

राष्ट्रपति ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, सोसाइटी फाॅर एग्रीकल्चर प्रोफेशनल व राष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान संस्थान जैसे नामी गिराकी कृषि संस्थानों ने एक मंच पर आकर मिसाल पेश की है। इससे यह साबित होता है कि संस्था अनेक लेकिर उद्देश्य एक है।


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