नहीं माना चीन, बाबा के बिना दर्शन लौट रहे शहर के लोग
जागरण संवाददाता, कानपुर : कैलाश मानसरोवर यानी भोले बाबा का धाम। जीवन में एक बार इस धाम के दर्शन करने
जागरण संवाददाता, कानपुर : कैलाश मानसरोवर यानी भोले बाबा का धाम। जीवन में एक बार इस धाम के दर्शन करने की इच्छा तो हर किसी की होती है। इसी हसरत के साथ बर्रा के रामबाबू गुप्ता और ग्वालटोली के डा. राजीव तिवारी इस बार कानपुर से निकले किंतु चीन ने मानसरोवर मार्ग को खोलने से ही इन्कार कर दिया तो उन्हें भी अन्य श्रद्धालुओं के साथ लौटना पड़ा।
बर्रा निवासी 68 वर्षीय रामबाबू ने बताया कि 47 श्रद्धालुओं की टीम में उनके साथ ग्वालटोली के डा. राजीव तिवारी भी थे। वह लोग उत्साह और श्रद्धा के साथ 15 जून को दिल्ली से मानसरोवर को उड़े थे। गंगटोक होते हुए नाथुला दर्रे पर चीन ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने बताया कि सभी तीन से चार घंटे तक बारिश में भीगते रहे और भारत सरकार की तरफ से यही कहा जाता रहा कि चीन से बातचीत चल रही है। शुक्रवार शाम को उन्हें अंतिम तौर पर बताया गया कि चीन ने इस अंतरराष्ट्रीय सीमा के द्वार खोलने से मना कर दिया है। इसके बाद सभी यात्रियों को सिक्किम की राजधानी गंगटोक लाया गया, जहां एक होटल में रखने के बाद सबके सामने चार धाम यात्रा का प्रस्ताव रखा गया तो सभी ने यह सोच कर मान लिया कि अब कैलाश धाम के दर्शन तो हो नहीं पा रहे, चलो यहीं भगवान के दर्शन कर लिए जाएं। उन्होंने बताया कि रविवार अपराह्न तीन बजे दिल्ली के लिए उड़ान होगी वहां से सभी श्रद्धालु अपने अपने घर चले जाएंगे।