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अच्छी साख के कालेजों में नहीं मिलेगा प्रवेश

कानपुर, जागरण संवाददाता : माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की इंटर परीक्षा की मेरिट गिरने से मेधाव

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 01:01 AM (IST)
अच्छी साख के कालेजों में नहीं मिलेगा प्रवेश
अच्छी साख के कालेजों में नहीं मिलेगा प्रवेश

कानपुर, जागरण संवाददाता : माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की इंटर परीक्षा की मेरिट गिरने से मेधावी निराश हैं, उनके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय सहित विशेष साख वाले कालेजों में प्रवेश के द्वार लगभग बंद हो गए हैं। बोर्ड की मेरिट में 95 फीसद से अधिक प्राप्तांक वाले मात्र 14 मेधावी हैं, जबकि देश के नामी गिरामी कालेजों में प्रवेश की मेरिट 99 फीसद तक गई है।

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पिछले कुछ वर्षो से मेधावियों का प्राप्तांक प्रतिशत बढ़ाने के लिए यूपी बोर्ड लगातार प्रयास कर रहा था परंतु 2017 के परिणाम गवाह हैं कि सभी प्रयास धड़ाम हो गए। सीबीएसई व आइसीएसई का पीछा कर रहा यूपी बोर्ड इस बार बुरी तरह पिछड़ गया। इस बार 95 फीसद से अधिक अंक पाने वाले मात्र 14 मेधावी हैं, जबकि पिछले वर्षो में इनकी संख्या कई गुना रही है। देश के शीर्ष कालेजों में स्नातक प्रवेश की मेरिट 99 से 97 फीसद तक आकर खत्म हो जाती है। जाहिर है कि उनमें सीबीएसई व आइसीएसई के मेधावी ही स्थान पा सकेंगे।

दूसरी पंक्ति के कालेजों में दिक्कत

यूपी बोर्ड में इस बार 90 फीसद से अधिक अंक पाने वाले मात्र 1976 मेधावी हैं। जबकि 2016 की परीक्षा में इनकी संख्या 16865 थी। शहर के पीपीएन व क्राइस्टचर्च कालेजों में विज्ञान वर्ग की मेरिट काफी अधिक रहती है। यूपी बोर्ड के छात्रों का प्रवेश प्रतिशत काफी कम रहना तय है। उधर 90 से 94.9 फीसद अंक पाने वाले छात्रों की संख्या में भी बहुत गिरावट आई है। ऐसे में दूसरी पंक्ति के कालेजों में भी यूपी बोर्ड के छात्रों का प्रवेश प्रतिशत घटेगा।

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मेरिट में कितना पीछे

यूपी बोर्ड टॉपर : 96.2 फीसद

आइसीएसई टॉपर : 99.5 फीसद

सीबीएसई टॉपर : 99.6 फीसद

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यूपी बोर्ड में 95 फीसद अंक पाने वाले छात्र

2017 : 95

2016 : 585

2015 : 209

2014 : 249

2013 : 79

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''विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजे बताते हैं कि यूपी बोर्ड की मेधा पीछे नहीं है परंतु पाठ्यक्रम, पढ़ाई व परीक्षा गुणवत्ता को छोड़ अंकों की होड़ में फंसे यूपी बोर्ड का नुकसान हो रहा है।''

- केएम त्रिपाठी, पूर्व निदेशक माध्यमिक व बेसिक शिक्षा


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