'जादू की झप्पी' मिली, अस्पताल में गुजारा साल
जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकारी अस्पताल और व्यवस्था पर तोहमत तो आम बात है, लेकिन यह एक किस्सा इस
जागरण संवाददाता, कानपुर :
सरकारी अस्पताल और व्यवस्था पर तोहमत तो आम बात है, लेकिन यह एक किस्सा इसी व्यवस्था के बीच कहीं छिपे मानवता के चेहरे को भी उजागर करता है। जहां अस्पतालों में एक-एक बेड के लिए झिकझिक की बात कही जाती है, वहीं लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) के स्टाफ ने एक महिला को ठीक होने के बाद भी एक साल तक सिर्फ इसलिए आसरा दिया, क्योंकि उसका कोई ठौर-ठिकाना नहीं है। यहां 'जादू की झप्पी' के साथ महिला को अपनेपन की मीठी गोली मिली।
एक सड़क हादसे में चोटिल हुई 50 वर्षीय लावारिस महिला को पुलिस ने 22 मई 2016 को एलएलआर अस्पताल में भर्ती कराया। पैर में चोट थी, जो दो माह में ठीक हो गई। मगर, महिला अपना नाम तक नहीं बता सकी। ऐसे में डॉक्टर से लेकर पूरे स्टाफ ने मानवता का धर्म निभाया। जनरल वार्ड में एक पलंग स्थायी रूप से उसे दे दिया। उसे नियमित भोजन मिलता, स्टाफ ही उसकी सेवा भी करता। सोमवार को रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र की काउंसलर अर्पिता सिंह और मोनिका गुप्ता किसी बैठक के सिलसिले में अस्पताल पहुंचीं। वहां सीएमएस नीतेश त्रिपाठी ने उस महिला के बारे में बताया कि वह एक साल से अस्पताल में ही है। उसे ले जाने वाला कोई नहीं है। तभी जिला प्रोबेशन अधिकारी अजित प्रताप सिंह भी पहुंच गए। उन्होंने तुरंत ही निर्णय लिया कि महिला को महिला कल्याण विभाग के किदवई नगर स्थित वृद्धाश्रम सार्वजनिक इच्छुक नयन संस्थान में रखा जाएगा। शाम को ही उसे वहां पहुंचा भी दिया गया।
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स्टाफ घर से लाता था मनपसंद खाना
प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर सहित अस्पताल के स्टाफ ने मानवता का रिश्ता बखूबी निभाया है। महिला को वह खाना तो मिलता ही था, जो मरीजों के लिए आता है। इसके अलावा वह जो भी खाना की इच्छा जाहिर करती थी, वह स्टाफ घर से बनवाकर उसके लिए लाते थे।