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तीन गिरोह ने रची थी हिस्ट्रीशीटर की हत्या की साजिश

जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर के तीन गैंग ने मिलकर हिस्ट्रीशीटर गुलाम नबी की हत्या की साजिश रची और त

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 01:00 AM (IST)
तीन गिरोह ने रची थी हिस्ट्रीशीटर की हत्या की साजिश
तीन गिरोह ने रची थी हिस्ट्रीशीटर की हत्या की साजिश

जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर के तीन गैंग ने मिलकर हिस्ट्रीशीटर गुलाम नबी की हत्या की साजिश रची और तीनों गैंग के शार्प शूटरों ने एक-एक कर छह गोलियां उसके शरीर में दाग दीं। हमलावर यह बात जानते थे कि वह बच गया तो दांव उल्टा होगा। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले सिर और बाद में शरीर को निशाना बनाया। जिसका खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हुआ। हत्या में बदमाशों ने कई बोर की असलहे का प्रयोग किया। पुलिस की चार टीमें अभी तक किसी आरोपी को नहीं पकड़ सकी हैं।

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रविवार देर शाम चमनगंज में सईदाबाद चौराहे के पास बाइक सवार गुलामनबी और उसके साथी इंतिखाब उर्फ मैनेजर पर दो बाइक से आए बदमाशों ने हमला कर दिया था। इसमें गुलामनबी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि मैनेजर गंभीर रूप से घायल हुआ। उसका एलएलआर अस्पताल (हैलट) में इलाज चल रहा है। घटना के बाद गुलामनबी के भाई जावेद ने अपने फुफेरे भाई नादिर, अब्दुल सुबूर व उनके साथियों शफीक भयंकर, चीना, अबू जर, अब्दुल खैर के खिलाफ मुकदमा लिखाया।

सोमवार दोपहर पुलिस ने गुलामनबी के शव का पोस्टमार्टम कराया। डाक्टरों के अनुसार हत्यारों ने गुलामनबी का भेजा गोलियों से उड़ा दिया। .32 बोर की पिस्टल के साथ 315 बोर के तमंचे से ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। सिर से चेहरे तक तीन गोलियां मारीं। दाहिनी कनपटी के पास मारी गई एक गोली बायीं तरफ से पार निकल गई। दूसरी गोली दाहिने जबड़े पर मारी जो पीछे गर्दन से निकल गई। इसके अलावा एक और गोली सिर को पार करके निकल गई। एक गोली बायें कंधे को चीरते हुए निकल गई। सीने में मारी गई गोली पीठ से निकल गई। पीठ पर मारी गई एक गोली रीढ़ की हड्डी में फंसी मिली। पोस्टमार्टम करने वाले कांशीराम ट्रामा सेंटर के डॉ. स्वदेश गुप्ता ने बताया कि अत्यधिक खून बहने से गुलामनबी की मौत हुई।

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हत्यारोपियों के घरों पर ताले, निगरानी शुरू

वारदात के एक घंटे बाद ही परिजनों से बात करके पुलिस ने हत्यारोपियों के नाम पता लगा लिए थे। तुरंत हमलावरों की तलाश में पुलिस टीमें दौड़ा दी गई लेकिन कोई नहीं मिला। सभी घरों पर ताले लटके मिले। पुलिस ने शफीक और चीना के रिश्तेदारों को उठाकर पूछताछ भी की। इसके बाद सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों से निगरानी शुरू करा दी गई।

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नादिर व उसके भाइयों पर हत्या के मुकदमे

हिस्ट्रीशीटर गुलामनबी की हत्या के बाद से फरार कुलीबाजार के मोहम्मद नादिर और उसके चारों भाइयों पर हत्या के मुकदमे हैं। सोमवार को पुलिस ने उनका आपराधिक इतिहास खंगाला। अनवरगंज पुलिस के अनुसार 1989 में घर में घुसकर नादिर ने एक युवक की हत्या की थी। वर्ष 2004 में भी उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। उसके भाई नासिर और अब्दुल सुबूर भी दो हत्याओं में नामजद हुए। 1989 में हुई हत्या के मामले में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।


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