नीति आयोग से नहीं होगा देश का विकास
जागरण संवाददाता, कानपुर : भारतीय मजदूर संघ का मानना है कि नीति आयोग से देश का विकास नहीं हो सकता है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : भारतीय मजदूर संघ का मानना है कि नीति आयोग से देश का विकास नहीं हो सकता है। यह राष्ट्र के लिए हितकारी नहीं है, इसलिए राष्ट्र विकास के मॉडल को सामने रखते हुए इसे पुनगर्ठित करना चाहिए।
भारतीय मजदूर संघ के 18वें तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन नीति आयोग के संबंध में प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि नीति आयोग हर माह उद्योगों को बंद करने की सिफारिश कर रहा है। आयोग ने यह कह टैलेंट ग्रुप बनाया है कि वह विदेशों से प्रतिभा लाएगा। भामस के पूर्व अध्यक्ष सीके संजीनरायन द्वारा प्रस्तुत और क्षेत्र संगठन मंत्री पवन कुमार द्वारा समर्थित प्रस्ताव में आशंका जाहिर की गई कि यह भी एफडीआइ और मल्टीनेशनल को बढ़ावा देगा और यहां के उद्योगों को बंद कराएगा।
इसके पूर्व उद्घाटन सत्र में प्रदेश अध्यक्ष राधेकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि 47 साल बाद ऐतिहासिक धरती पर हो रहा अधिवेशन सार्थक चर्चा के बाद अच्छे परिणाम देगा। अधिवेशन को ¨हद मजदूर सभा के राष्ट्रीय मंत्री राम किशोर त्रिपाठी, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह और टीयूसीसी के एसपी तिवारी ने संबोधित किया। अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष बैजनाथ राय, महामंत्री बृजेश उपाध्याय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. बसंत कुमार राय, के लक्ष्मा रेड्डी, मंगलम्मा राव, हीरेन पांड्या, पीएन शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। संचालन राष्ट्रीय मंत्री जगदीश्वर राव ने किया। अधिवेशन में भामस के 44 औद्योगिक महासंघ और 26 प्रादेशिक इकाइयों से संबंधित 5300 यूनियनों के करीब पांच हजार प्रतिनिधि शामिल हुए।
संन्यासी और श्रमिक दोनों श्रमजीवी
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि संन्यासी और श्रमिक दोनों ही श्रमजीवी हैं क्योंकि दोनों तप करते हैं। बिना श्रम के जीवन में सौंदर्य ही नहीं होता। उन्होंने भामसं संस्थापक स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की बहुत सुंदर व्याख्या करते थे। उन्होंने कहा कि भामस एक अ¨हसक संगठन है जो अनुशासन में रहता है क्योंकि यह इसके मूल में हैं।
लोक कलाओं से आम जन को जोड़ें
आदिवासियों के बीच सामाजिक काम करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित विकास भारती, झारखंड के सचिव अशोक भगत ने कहा कि चीन से अधिक लोक कलाएं भारत में हैं, इन्हें सम्मान देकर आम आदमी को इन कलाओं से जोड़ने पर लोगों को रोजगार के नए क्षेत्र मिलेंगे। उन्होंने वामपंथी ट्रेड यूनियनों की आलोचना करते हुए कहा कि यदि उनका काम अच्छा होता तो पश्चिम बंगाल में अराजकता नहीं फैलती और वहां के उद्योग नहीं बंद होते। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी को बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि इसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है।
ट्रेड यूनियनों के सामने गंभीर चुनौती
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में एशिया पैसिफिक रीजन की निदेशक मिस बून पाला ने कहा कि भारत की ट्रेड यूनियनों के सामने सामाजिक न्याय की गंभीर चुनौती है। उन्हें इस दिशा में मिल कर काम करने की जरूरत है। किसी भी देश की ट्रेड यूनियन उस देश के उद्योग और श्रम को मजबूत करने के लिए होती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि निश्चित रूप से भामस इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
ठेंगड़ी पर पुस्तक का विमोचन
भामस संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी समग्र जीवन दर्शन पर आधारित पुस्तक के नवें खंड का विमोचन करते हुए संघ के प्रांत संघचालक वीरेन्द्र पराक्रमादित्य ने किया। उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय और दत्तोपंत ठेंगड़ी में समानता करते हुए कहा कि दीनदयाल जी को समझने के लिए ठेंगड़ी की पढ़ना होगा। कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक अमरनाथ डोगरा और ठेंगड़ी के सहयोगी रहे रामदास पांडे भी रहे।