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मैकेनिक, लेबर व फेरी लगाने वालों के बेटे बनेंगे आइआइटियन

जागरण संवाददाता, कानपुर : कहते हैं अगर किसी काम को पूरी शिद्दत से किया जाए तो बदनसीबी भी अपना रास्ता

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 10:08 PM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 10:08 PM (IST)
मैकेनिक, लेबर व फेरी लगाने वालों के बेटे बनेंगे आइआइटियन
मैकेनिक, लेबर व फेरी लगाने वालों के बेटे बनेंगे आइआइटियन

जागरण संवाददाता, कानपुर : कहते हैं अगर किसी काम को पूरी शिद्दत से किया जाए तो बदनसीबी भी अपना रास्ता बदल लेती है। संजीव यादव, राजीव कुमार, आलोक व मनीष कुमार ने इसे साबित कर दिखाया है। मैकेनिक, लेबर व फेरी लगाने का काम करके इनके पिता अपने नौनिहालों को किसी तरह स्कूली शिक्षा दिला सके जबकि अपने माता-पिता की विषम परिस्थितियों को देखते हुए इन छात्रों ने संसाधनों की कमी के बीच अपनी मेहनत व लगन से उन्होंने जेईई मेन में सफलता हासिल कर परिवार का मान बढ़ाया है।

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आर्थिक स्थिति को मात देकर मारा मैदान

रामादेवी के रहने वाले मनीष कुमार के पिता रमेश कुमार कबाड़ की फेरी लगाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति को मात देकर उन्होंने आइआइटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए हेलीगर बॉर्डन के बी-35 बैच में जगह बनाई। 92 फीसद अंकों के साथ 12वीं क परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मनीष को इस बैच में निशुल्क तैयारी करने का मौका मिला और जेईई मेन की परीक्षा पास कर ली। उनकी ख्वाहिश आइआइटी कानपुर से इंजीनिय¨रग करने की है।

पांच हजार रुपये महीना आमदनी में कैसे करते पढ़ाई :

प्रतापगढ़ से कानपुर आकर पढ़ाई करने वाले संजीव यादव के पिता रामसेवक यादव मैकेनिक हैं। घर की आमदनी महज पांच हजार रुपए महीना है। दो भाई व एक बहन के बीच संजीव सबसे बड़े हैं। अपनी मेहनत व लगन से नवोदय विद्यालय में प्रवेश मिला तो 12वीं तक उनकी शिक्षा निशुल्क हो गई। इसके बाद उन्होंने भी अपनी मेहनत से आइआइटी प्रवेश परीक्षा की मुफ्त तैयारी के लिए भाभा इंस्टीट्यूट में अपनी जगह बनाई।

रोज कमाने रोज खाने वाला हिसाब है :

ज ईई मेन की परीक्षा पास करने वाले राजीव कुमार के पिता सुनील कुमार लेबर हैं। घर का हिसाब रोज कमाने रोज खाने वाला है। संजीव बताते हैं कि मुरादाबाद से कानपुर आकर पढ़ाई करना उनके लिए सपना था। अपने इरादों को मजबूत करके आइआइटी की तैयारी कराने वाले निशुल्क कोचिंग के बैच में सेलेक्शन हो गया। उनकी ख्वाहिश भी कानपुर आइआइटी से पढ़ाई करने की है। इसी तरह आलोक के पिता रामनरेश प्रिंटिंग प्रेस में टाइपिस्ट हैं। 91 फीसद अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा नवोदय विद्यालय से पास करने के बाद उन्होंने भी विपरीत परिस्थितियों में जेईई मेन में सफलता प्राप्त करके परिवार का मान बढ़ाया है।


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