दादा गुरुदेव की शोभायात्रा में डांडिया रास
जागरण संवाददाता, कानपुर: दादाबाड़ी कुशल सदन कैंट के 12वें वार्षिकोत्सव पर श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा न
जागरण संवाददाता, कानपुर: दादाबाड़ी कुशल सदन कैंट के 12वें वार्षिकोत्सव पर श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा निकाली। इसमें शामिल भक्तों ने भजनों पर डांडिया रास किया। नृत्य करते भक्तों ने लोगों को सत्य और अ¨हसा का पाठ पढ़ाया। शोभायात्रा जिन मार्गो से निकली श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर दादा गुरुदेव का स्वागत किया। कुशल सदन कैंट स्थित दादाबाड़ी पहुंचने पर दादा गुरुदेवों का पूजन किया गया।
सुबह बिरहाना रोड स्थित जैन मंदिर से यात्रा शुरू हुई। एडीजे रजत सिंह जैन हरी झंडी दिखाकर यात्रा का शुभारंभ किया। महिलाएं सिर पर मंगल कलश लेकर चल रही थीं तो ऐरावत हाथी और घोड़ों पर सवार बच्चे ध्वज पताका लेकर जैन धर्म के 'अ¨हसा परमो धर्म' के सिद्धांत पर चलने के लिए लोगों को प्रेरित किया। महाराज श्रेयांस कुमार, जैन धर्म की अधिष्ठात्री देवी अंबिका, पद्मावती देवी, सरस्वती देवी, लक्ष्मी देवी के प्राकट्य और भगवान नेमिनाथ के वैराग्या की झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। यात्रा मालरोड, फूलबाग होते हुए कुशल सदन कैंट पहुंची तो वहां दादा गुरुदेव जिनदत्त सूरि, मणिधारी दादा जिनचंद्र सूरि, दादा गुरुदेव जिन कुशल सूरि और अकबर प्रतिबोधक दादा गुरुदेव जिनचंद्र सूरि जी का फूलों से मनोहारी श्रृंगार किया गया। श्रद्धालुओं ने दादा गुरुदेवों की महाआरती की और फिर भजनों के माध्यम से उनकी महिमा का बखान किया। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश महामंत्री सलिल विश्नोई, समिति अध्यक्ष दलपत जैन, उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र ओसवाल, महामंत्री राजकुमार बांठिया, मंत्री अमित जैन, कोषाध्यक्ष भूपत सिंह जैन, सुरेश चंद्र ओसवाल, दीपक जैन, संजय भंडारी, टीकम चंद्र सेठिया, सुबोध जैन, संजय भंडारी, अशोक भाई शाह, अमित जैन, सुशीला कुमारी जैन आदि रहे।
'दादा थारे नाम में खुशियों की बरसात'
भजन गायक मुकुल बंधु और मंजुला रामपुरिया व अंजना जैन ने भजनों के माध्यम से दादा गुरुदवों की महिमा का बखान किया। उनकी भजन 'दादा थारे नाम में खुशियों की बरसात जी..', 'आए दरश को द्वार तेरे दिल में श्रद्धा के भाव लिए दिल को लुभाती है तेरी सुरतिया..', पर श्रद्धालु झूम उठे। राधिका जैन, मोहित बोथरा ने भी भजन सुनाकर दादा गुरुदेव की महिमा का बखान किया। सुशीला कुमारी जैन को भाग्यशाली भक्तों के रूप में पुरस्कृत किया गया। शंखेश्वर गुजरात स्थित पार्श्वनाथ तीर्थ से आए जैन विधिकारक प्राचार्य आशीष आशीष भाई गुरु जी ने अभिषेक पूजन कराया।