जेल में चप्पे-चप्पे पर कैमरे की नजर
जागरण संवाददाता, कानपुर : फर्रुखाबाद जेल में बंदियों के उपद्रव के बाद अब प्रदेश की जेलों में सख्ती ब
जागरण संवाददाता, कानपुर : फर्रुखाबाद जेल में बंदियों के उपद्रव के बाद अब प्रदेश की जेलों में सख्ती बढ़ा दी गई है। जिला कारागार में सीसीटीवी कैमरों से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है।
ऐसे में बंदियों पर निगाह रखने के लिए 12 सीसीटीवी कैमरे शुरू हो गए हैं। जेल के प्रवेश द्वार से लेकर भीतरी दीवार तक निगाह रखी जा रही है। वीडियो रिकार्डिग में एक सिपाही लगातार निगाह रख रहा है। सूत्र बताते हैं कि आलाधिकारी वीडियो रिकार्डिग की सीडी भी मांग सकते हैं।
शुरू हुई बंदियों की जासूसी
जिला कारागार में सोमवार की सुबह और शाम बंदियों की गिनती के साथ ही बैरकों की जांच की गई। सिपाहियों ने बंदियों का सामान भी जांचा। चूंकि बैरकों में क्षमता से अधिक बंदी हैं ऐसे में किसी भी तरह की हरकत के लिए बंदियों के बीच जेल अधिकारियों ने अपने जासूस छोड़ रखे हैं। किसी भी हरकत पर अधिकारियों के जासूस बंदी तत्काल सूचना दे रहे हैं।
मोबाइल पर लगी रोक
जिला कारागार के भीतर पहले डिप्टी जेलर मोबाइल फोन ले जाते थे, लेकिन अब जेल अधीक्षक और जेलर के अतिरिक्त किसी को भी मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत नहीं है। बता दें उक्त दोनों अधिकारियों भी सीयूजी नंबर ही भीतर ले जाते हैं।
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तनाव और सख्ती उपद्रव का कारण
अधिकारी बताते हैं कि बंदी अक्सर तनावग्रस्त रहते हैं। कभी परिजनों के न आने पर, कभी जमानत न मिलने और कभी अन्य कारण से। चूंकि बंदीरक्षकों को बड़ी संख्या में उन्हे संभालना होता है ऐसे में सख्ती भी बरती जाती है। ऐसे में छोटी-छोटी बातों को लेकर बंदी उग्र हो जाते हैं। जिसका कुछ अपराधी बंदी फायदा उठाते हैं और विवाद बड़ा रूप अख्तियार कर लेते हैं।
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क्षमता से दोगुने हैं बंदी
जिला कारागार की क्षमता 1242 बंदियों की है जबकि यहां 2200 से ज्यादा बंदी रह रहे हैं।
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बंदी अपनी समस्याएं अधिकारियों को बता सकते हैं। उस पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। समस्या पर बंदी मुझसे भी बात करते हैं। यहां स्थिति सामान्य है। सतर्कता बरती जा रही है।
विपिन कुमार मिश्र, जेल अधीक्षक