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भावनाओं और तूलिका से उकेरे देवी-देवताओं के चित्र

जागरण संवाददाता, कानपुर: कमला नेहरू पार्क जवाहर नगर का नजारा रविवार को अन्य दिनों के बजाय बदला-बदला

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 01:00 AM (IST)
भावनाओं और तूलिका से उकेरे देवी-देवताओं के चित्र
भावनाओं और तूलिका से उकेरे देवी-देवताओं के चित्र

जागरण संवाददाता, कानपुर: कमला नेहरू पार्क जवाहर नगर का नजारा रविवार को अन्य दिनों के बजाय बदला-बदला सा था। यहां घूमने-फिरने वाले लोग कम थे, हाथों में तूलिका संभाले मन में आने वाली भावनाओं को चित्र के माध्यम से उकेरने वाले ज्यादा। मौका था साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था संस्कृति दर्पण व संस्कार भारती के तत्वावधान में नव संवत्सर महोत्सव के अंतर्गत राज्य स्तरीय लोक कला कार्यशाला का। यहां प्रदेश भर से आए 200 से ज्यादा कलाकारों ने देवी-देवताओं, रंगोली, शुभचिह्न, मंगलद्वार, प्रकृति-पर्यावरण के ऐसे चित्र बनाए कि एकबारगी वह सजीव प्रतीत हुए। उद्घाटन करते हुए मर्चेट चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष प्रो. इंद्रमोहन रोहतगी ने कहा आज भी देश के गांवों और संयुक्त परिवारों में कला अपने पुराने स्वरूप में जीवित है। लोककला कार्यशाला की अध्यक्षता रमेश मरोलिया ने की। समापन पर पहुंचे बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि लोककला भारतीय संस्कृति की आत्मा है। मुख्य अतिथि का परिचय व स्वागत संस्कार भारती की प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.गीता मिश्र ने किया। मुख्य संयोजिका दीपा पाठक ने धन्यवाद व संचालन पूजा अवस्थी ने किया। इस मौके पर मुख्य रूप से पार्षद आलोक दुबे, डॉ. हरिभाऊ खांडेकर आदि मौजूद रहे।


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