गन्ने की खली से बनेगा पोषक पशु आहार
जागरण संवाददाता, कानपुर : चीनी मिलों के लिए नई तकनीक पर काम करने वाला राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएस
जागरण संवाददाता, कानपुर : चीनी मिलों के लिए नई तकनीक पर काम करने वाला राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) अब एक विशेष तकनीक पर काम करने जा रहा है। गन्ने की खली से पोषक पशु आहार और बायो फर्टिलाइजर तैयार करने के लिए इंग्लैंड के विशेषज्ञ एनएसआइ और आइआइटी के साथ मिलकर काम करेंगे।
इंग्लैंड के विशेषज्ञों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को राष्ट्रीय शर्करा संस्थान पहुंचा। दल के सदस्य डॉ. एंड्रयू स्विफ्ट और डॉ. मुइवा एक्निटोओ ने आइआइटी के महेश कुलकर्णी के साथ यहां प्रयोगशाला और अनुसंधान संबंधी व्यवस्थाओं को परखा। इसके साथ ही संस्थान के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा। एनएसआइ के निदेशक डॉ. नरेंद्र मोहन ने उन्हें भारत में गन्ना उत्पादन और पेराई की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गन्ने की खोई का प्रयोग मुख्य रूप से ईधन के रूप में होता है। कुछ मात्रा में इसका इस्तेमाल पेपर बनाने में भी किया जाता है। प्रस्तावित अनुसंधान कार्य में 'इनसेक्ट बायो रिएक्टर टेक्नोलॉजी' से गन्ने की खली से पशु आहार और बायो फर्टिलाइजर बनाया जा सकेगा। इससे चीनी मिलों को काफी लाभ मिलेगा। निदेशक ने बताया कि जल्द ही इंग्लैंड की कैपिटा एंड कोर्न फूड्स कंपनी से संस्थान का अनुबंध होगा और यहां पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। इस दौरान संस्थान की डॉ. सीमा परोहा और डॉ. संतोष कुमार भी साथ थे।