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बालिग बताकर मुकदमे में फंसा दी बच्चियां

जागरण संवाददाता, कानपुर : विपक्षी को फंसाने के लिए मुकदमेबाज सही को गलत और गलत को सही बयां करने से भ

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 01:02 AM (IST)
बालिग बताकर मुकदमे में फंसा दी बच्चियां
बालिग बताकर मुकदमे में फंसा दी बच्चियां

जागरण संवाददाता, कानपुर : विपक्षी को फंसाने के लिए मुकदमेबाज सही को गलत और गलत को सही बयां करने से भी नहीं चूकते। कानून से खेलना भी पड़े तो उन्हे कोई रंज नहीं। फर्जी दस्तावेज और फर्जी गवाह खड़ा करना तो जैसे आम बात हो चली है। गुरुवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां नोटिस पर पहुंची दो बच्चियों को देखकर सब दंग रह गए। बच्चियों को उनकी कम उम्र के चलते फिलहाल राहत मिल गई है।

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कोहना के रानी का बगीचा निवासिनी तारावती ने 27 जुलाई 2015 को महानगर मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में एक परिवाद दाखिल किया। पड़ोसी आशा देवी पति सूरज प्रसाद व उनकी आठ और नौ वर्षीय दो बेटियों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट करने का आरोप लगाया। सुनवाई शुरू हुई तो तारावती ने कोर्ट में गवाही दी। दो गवाह भी खड़े किए जिन्होंने तारावती के बातों को कोर्ट में सही बताया। अधिवक्ता के मुताबिक वादिनी ने हलफनामा देकर बच्चियों को बालिग बताया था। गवाहों ने भी बच्चियों के नाबालिग होने की बात न्यायालय को नहीं बताई। इसी आधार पर 8 अक्टूबर 2015 को चारों के खिलाफ वारंट जारी हो गया। कोहना पुलिस ने 11 सितंबर 2016 को आशा और सूरज को गिरफ्तार कर लिया। जमानत कराने के बाद हाल ही में उन्हें पता चला कि दोनों बेटियां भी मामले में आरोपी हैं और उनके खिलाफ भी कोर्ट से वारंट जारी है। अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने निचली अदालत से बच्चियों के खिलाफ जारी वारंट पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में मां आशा की ओर से निगरानी याचिका (रिवीजन) दाखिल किया और निचली अदालत के आदेश को निरस्त करने की मांग की। याचिका में डीजीसी क्रिमिनल और वादिनी तारावती को पक्षकार बनाया है। दोनों बच्चियों को भी गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया। मामले पर अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

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न्यायालय ने निगरानी याचिका एडमिट कर ली है। बच्चियों की उम्र से संबंधित दस्तावेज भी दाखिल कर दिए गए हैं। निगरानी याचिका पर निर्णय आने के बाद वादिनी महिला और गवाहों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र देंगे।

राधाकृष्ण पांडेय, वरिष्ठ अधिवक्ता


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