फौजियों के लिए अब एक ही कपड़ा कोल्ड व वाटर प्रूफ
जागरण संवाददाता, कानपुर : सियाचीन और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में जमा देने वाली ठंड से बचने के लिए मोटे
जागरण संवाददाता, कानपुर : सियाचीन और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में जमा देने वाली ठंड से बचने के लिए मोटे कपड़े फौजियों के लिए परेशानी का सबब नहीं बनेंगे। डीआरडीओ ऐसे कपड़े बना रहा है जो ठंड में राहत देने के साथ स्वास्थ्य का भी ख्याल रखेंगे। यह कपड़े उस फ्रोस्ट वाइट (पसीना जमने से त्वचा में होने वाला रोग) बीमारी से बचाएंगे जो बर्फीली हवाओं के चलते पसीना जमने से होने लगती है। 40 डिग्री तापमान में भी कपड़े में पसीना नहीं होगा।
फ्रोस्ट वाइट के साइंटिस्ट व ग्रुप डायरेक्टर टेक्सटाइल डा. अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि इस नई तकनीक पर काम चल रहा है। यह कपड़ा वाटर प्रूफ व कोल्ड प्रूफ दोनों का काम करेगा। जब कपड़े के सांस लेने की बात की जाती है तो यह प्रश्न सामने आता है कि छिद्र वाले कपड़े में पानी कैसे रुक सकता है। डीआरडीओ के वैज्ञानिक नायलॉन के कपड़ों को कई प्रोसेज से गुजारने के बाद ऐसा कपड़ा तैयार कर रहे हैं जो टू इन वन होगा। वैज्ञानिक ऐसा स्लीपिंग बैग भी बना रहे हैं।
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मल्टी टेक्नोलाजी का जमाना
हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) में बुधवार को एडवांस केमिस्ट्री फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट्स विषय पर आयोजित नेशनल कांफ्रेंस के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि आने वाले समय मल्टी टेक्नोलाजी का है। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन रहे। आइआइटी प्रोफेसर डा. डीएलवीके प्रसाद ने मल्टीस्केल सिमुलेशंस आफ मैटेरियल्स पर व्याख्यान देते हुए माल्यूकल्स के बारे में बताया। आइआइसीटी हैदराबाद से आए डा. बी चिना राजू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी गुजरात के केमिस्ट्री विभाग के डीन प्रो. मानसिंह ने रडार सेंसर, कंप्यूटर सेंसर व नैनो मेडिसिन में चल रहे शोध कार्य के बारे में जानकारी दी। इस दौरान प्रो. नरेंद्र मोहन, प्रो. सुनील कुमार, प्रो. यदुवीर सिंह और समन्वयक डा. सीएल गहलौत ने स्मारिका का विमोचन किया।