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बिजली का तार गिरने से वृद्ध झुलसा, मवेशी की मौत

जागरण संवाददाता, कानपुर दक्षिण : मेहरबान ¨सह पुरवा के मजरा बनपुरवा में बुधवार की सुबह पोल से बिजली क

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 01:02 AM (IST)
बिजली का तार गिरने से वृद्ध झुलसा, मवेशी की मौत
बिजली का तार गिरने से वृद्ध झुलसा, मवेशी की मौत

जागरण संवाददाता, कानपुर दक्षिण : मेहरबान ¨सह पुरवा के मजरा बनपुरवा में बुधवार की सुबह पोल से बिजली का तार टूटने से मवेशी करंट की चपेट में आ गया। उसे झटपटाता देखकर मवेशी मालिक ने उसे बचाने की कोशिश की तो वह भी झुलस गए। सूचना के बाद भी बिजली न बंद होने से नाराज ग्रामीणों ने हंगामा कर सड़क जाम कर दी। साथ ही मौके पर पहुंचे बिजली कर्मियों की पिटाई कर दी।

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बनपुरवा निवासी तेज ¨सह मवेशी को चारा खिलाने के बाद पानी पिलाने के लिए दरवाजे पर ले गए थे। तभी उनके घर के बाहर बिजली के पोल से गुजर रहा तार अचानक टूट कर मवेशी की गर्दन पर गिरा। करंट लगने से मवेशी छटपटाकर वहीं गिर पड़ी। उसे बचाने के लिए तेज ¨सह दौड़े तो उन्हें भी करंट लग गया। इस पर स्थानीय लोगों ने मेहरबान ¨सह पुरवा सबस्टेशन में फोन कर घटना की जानकारी दी। ग्रामीणों का आरोप है कि सूचना के करीब आधे घंटे बाद आपूर्ति बंद की गई। मामले की जानकारी पर सबस्टेशन से दो कर्मचारी वहां पहुंचे तो ग्रामीणों ने दोनों की धुनाई करने के बाद सड़क पर पेड़ का तना और बैलगाड़ी लगाकर जाम लगाकर केस्को अफसरों के खिलाफ नारेबाजी की। ग्रामीण आशीष, कल्लन, गोलू, प्रेम नारायण, डॉन, विजय सिहं आदि का कहना है कि सालों से यहां जर्जर तारों के सहारे बिजली दौड़ रही है। अक्सर तार टूट कर गिरते हैं। पूरी लाइन बदलने के बजाय केस्को कर्मी ज्वाइंट लगाकर चले जाते हैं। बुधवार को जो तार टूटा वह भी जुगाड़ करके ज्वाइंट लगाकर जोड़ा गया था। मामले की जानकारी पर यूपी-100 के पुलिस कर्मी पहुंचे और हंगामा कर रहे लोगों को समझा बुझाकर शांत कराया।

ग्रामीण लालू और वीरपाल के मुताबिक करीब एक साल पहले हरिश्चंद्र यादव और आठ माह पूर्व वंश गोपाल के मवेशी की करंट की चपेट में आकर मौत हो चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदार आंखे मूंदे हैं। अधिशासी अभियंता अजय कुमार आनंद ने बताया कि पूरे शहर में जर्जर व कमजोर तारों को बदलने के लिए इस्टीमेट बन चुका है। आचार संहिता की वजह से काम शुरू नहीं हो सकता था। ऐसे तारों को बदलने व उन पर गार्डिग लगाने का काम युद्धस्तर पर चलाया गया।


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