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कोर्ट का आदेश हवा, परेशान है जनता

कानपुर, जागरण संवाददाता : कटखने बंदरों से परेशान बाबूपुरवा कालोनी के बाशिंदों को कोर्ट के आदेश से भी

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 01:01 AM (IST)
कोर्ट का आदेश हवा, परेशान है जनता

कानपुर, जागरण संवाददाता : कटखने बंदरों से परेशान बाबूपुरवा कालोनी के बाशिंदों को कोर्ट के आदेश से भी राहत नहीं मिली है। बंदरों के खौफ में जी रहे यहां के बाशिंदे खुद को न तो घर में सुरक्षित मानते हैं और न सड़क पर। बंदर का झुंड कब हमला कर दे, कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां के बाशिंदों की कुशल पूछने अफसर तो नहीं पहुंचे अलबत्ता समस्या पर तकनीकी खामी बताकर पल्ला झाड़ लिया। जब कोर्ट ने दर्द समझा और क्षेत्र को बंदरों के आतंक से मुक्त करने का आदेश दिया तो अफसर उस आदेश पर भी गौर करने को तैयार नहीं हैं। क्षेत्रवासी अब यह सोचने को मजबूर हैं आखिर जाएं तो जाएं कहां?

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दाखिल हुआ था मामला

सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री अधिवक्ता प्रवीण फाइटर ने एसीएम द्वितीय कोर्ट में मामला दाखिल किया था। पुलिस, वन विभाग और नगर निगम की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने वन विभाग और नगर निगम को सात दिन के भीतर क्षेत्र को बंदरों के आतंक से मुक्त करने के आदेश दिए थे।

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अब कोर्ट की अवमानना का मामला

करीब एक माह गुजरने को हैं लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ। ऐसे में अधिवक्ता प्रवीण फाइटर ने कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला एसीएम द्वितीय सतीश चंद ने बुधवार को डीएफओ और नगर आयुक्त के खिलाफ दाखिल अवमानना मामले में नोटिस जारी की है। सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री ने बताया कि कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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बाहर खड़ी बाइक का कवर और गद्दी तक फाड़ देते हैं। खिड़की से हाथ डाल कीमती सामान पर झपंट्टा मारते हैं। एक बार मेरा मोबाइल तक उठा ले गए थे। -विपिन ठाकुर

छत पर कोई कपड़ा नहीं सुखाते और न कोई सामान रख सकते हैं। काफी नुकसान उठा चुके हैं। किसी को आते देख झुंड में दौड़ा लेते हैं। दरवाजे बंद रखने पड़ते हैं। -सुशीला देवी

समस्या कई दिनों से झेल रहे हैं। बच्चों को लेकर हमेशा डर बना रहता है। उनकी लगातार निगरानी करनी पड़ती है। बच्चे से घर से बाहर खेलने नहीं जा पाते हैं।

माला सिंह

खिड़की-दरवाजा खुला देख बंदर कमरे में घुस आते हैं। रसोई में रखा खाना उठाकर भाग जाते हैं। खड़े होकर उन्हें सामान ले जाते देखना मजबूरी है। -सरोजनी देवी


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