अनुदान नहीं सेवाभाव के लिए बनाएं गैर सरकारी संगठन
कानपुर, जागरण संवाददाता : प्लानिंग से व्यापारिक प्रतिष्ठान व औद्योगिक इकाइयां खड़ी होती हैं। गैर सरका
कानपुर, जागरण संवाददाता : प्लानिंग से व्यापारिक प्रतिष्ठान व औद्योगिक इकाइयां खड़ी होती हैं। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) तो जन्म लेते हैं, जिनका प्राण प्रार्थना और मूल सेवाभाव है। सेवा का कोई प्रशिक्षण नहीं होता, बल्कि स्वयं में पैदा होने वाला भाव है। समय के साथ सोच बदलने से व्यापारिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर एनजीओ बनाए जाने से विकृतियां आई हैं। इसलिए अनुदान नहीं सेवाभाव के लिए गैर सरकारी संगठन बनाए जाने चाहिए। यह विचार जागरण विमर्श में सोमवार को युग दधीचि देहदान अभियान के प्रमुख मनोज सेंगर ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि पहले समाज सेवा सर्वोपरि होती थी। समाज को कुछ देने के लिए अपना सबकुछ त्याग कर तन-मन-धन से जुट जाते थे। उसके परिणाम भी सकारात्मक होते थे। उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र के एक अधिवक्ता जो कुष्ठ रोगियों का इलाज कराने के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। अपनी पुश्तैनी जमीन पर झोपड़ी बनाकर उन्हें आश्रय दिया और उनकी देखभाल में रम गये। अब वहां कुष्ठ रोगियों का बड़ा आश्रम है और वह बाबा आम्टे के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसी तरह राजस्थान के एक सरकारी शिक्षक जो बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए दूसरे गांव के स्कूल में स्थानांतरण मांगा था। अफसरों के इंकार करने पर नौकरी छोड़कर बालिका शिक्षा को समर्पित हो गए। खुले में शुरू हुई पाठशाला अब वनस्थली बालिका विद्यापीठ का रूप ले चुकी है। नौकरी छोड़ने वाले शिक्षक आगे चलकर हीरालाल शास्त्री के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह दोनों सेवाभाव व समर्पण के जीते-जागते उदाहरण हैं। इन्हें न नाम की जरूरत थी और न ही अनुदान का लालच था। अब विकृतियां आई हैं। एनजीओ का पंजीकरण कराते ही अनुदान की फेर में जुट जाते हैं। इस शार्टकट पर अंकुश लगना जरूरी है। अगर लोगों में सेवा का भाव होगा तो शुरू में चुनौतियों का जरूर सामना करना पड़ेगा। काम के प्रति समर्पण के साथ इनसे लड़ना सीख गए तो परिणाम सकारात्मक मिलने में विलंब नहीं होगा।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बदले
रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने वाले एनजीओ सालभर काम करके दिखाएं। उनके काम के आधार पर रजिस्ट्रेशन किया जाए। उनके काम को स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार व विदेश संस्थाएं अनुदान दें। ऐसा करने से अनावश्यक लोगों की भीड़ छटेगी। समाजिक कार्य के लिए समर्पित लोगों को तवज्जो मिलेगी।
अनुदान के बाद एनजीओ की मानीट¨रग जरूरी
सरकार या विदेश से अनुदान लेने वाली एनजीओ की मानीट¨रग के लिए रिवाल्विंग कमेटी बनाई जाए। जिसमें सामाज के प्रतिष्ठित व ईमानदार लोग, एक प्रशासनिक अधिकारी व न्यायिक अधिकारी को रखा जाए। कमेटी के सदस्य छह-छह माह में बदलते रहे। कमेटी द्वारा किये गये कार्य, रुपये के उपभोग का ब्योरा, लाभ लेने वालों का वैरीफिकेशन करे। काम नहीं करने पर संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किया जाए।
पारदर्शी प्रक्रिया के लिए सुझाव
आनलाइन रजिस्ट्रेशन से भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश, कागजात की प्रक्रिया सरल हो। एनजीओ का भौतिक सत्यापन कराया जाए। दो साल तक काम न करने पर रजिस्ट्रेशन रद किया जाए।