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धूल का दरिया, भंवर में जिंदगी

कानपुर, जागरण संवाददाता : शहर में सड़कों की खोदाई अब जान की दुश्मन बन गई है। उड़ती धूल के कारण वायु प्

By Edited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 01:29 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 01:29 AM (IST)
धूल का दरिया, भंवर में जिंदगी

कानपुर, जागरण संवाददाता : शहर में सड़कों की खोदाई अब जान की दुश्मन बन गई है। उड़ती धूल के कारण वायु प्रदूषण दोगुना हो गया है। नतीजा सांस लेने में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं तो वहीं सांस के साथ शरीर में पहुंच रही धूल फेफड़ों को कमजोर कर रही है। यह चौंकाने वाली जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट में आई है।

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जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन के तहत पिछले नौ साल से जलापूर्ति और गहरी सीवर लाइन डालने व टेस्टिंग में धंस रही सड़कों को बनाने व खोदने का ही काम चल रहा है। जनता को पानी नहीं मिला और न ही सीवर समस्या हल हुई बल्कि खोदाई से उड़ती धूल खतरनाक हो गई है। हालत यह है कि एक-एक सड़क को कई बार खोदा जा रहा है। पहले पाइप डालने को सड़क खोदी गई, अब टेस्टिंग में पाइप फटने के बाद उसकी मरम्मत को सड़क खोदी जा रही है। हालत यह है कि खोदाई के चलते सड़क पर लगे मिंट्टी के ढेर उड़ने और जाम से वाहनों के उगलते धुएं से लोगों का दम घुटने लगा है। उमस में खोदे रास्तों से निकलना मुश्किल है।

खुदी सड़कों बन रही जानलेवा

खुदी सड़कें वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। निराला नगर में खुदी सड़क दो बाइक व आटो वाला पिछले दिनों गिर गया था। लाजपत नगर में भी खुदी सड़क में कार फंस गई थी। बड़ी मशक्कत के बाद कार निकाली गई थी। काकादेव, बड़ा चौराहा, श्यामनगर समेत कई जगह गढ्डों में वाहन गिर चुके हैं।

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बोलते आंकडे़:

अप्रैल की स्थिति:

क्षेत्र पीएम 10 की मात्रा

किदवई नगर 224.1

पनकी 238.4

शास्त्री नगर 207.7

दादानगर 286.6

रामादेवी 345.6

मई में हालात

क्षेत्र पीएम 10 की मात्रा

किदवई नगर 228.9

पनकी 256.6

शास्त्री नगर 220.9

दादानगर 188.9

रामादेवी 249.9

नोट: यहां पीएम 10 की मात्रा को माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब में मापा गया है। विभागीय मानकों के मुताबिक यह मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब होनी चाहिए।

- पीएम 10 धूल के वह कण होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रान या इससे कम होता है।

धूल के कण सबसे ज्यादा खोदाई वाले स्थानों पर होते हैं। यहां से निकलते समय अपना बचाव करना बेहतर होता है। - डा.मोहम्मद सिकंदर, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

अस्थमा एवं क्रानिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) का अटैक पड़ सकता है। नियमित रूप से सांस के माध्यम से फेफड़ों में धूल जाने से फाइब्रोसिस, फेफड़ों में कैंसर हो सकता है। सांस में धूल के साथ केमिकल जाने से (सिलकोसिस) फेफड़े सख्त हो जाते हैं।

- डॉ. सुधीर चौधरी, प्रोफेसर, टीबी एवं चेस्ट विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।


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