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इनका शौक दिलाता आतंक से निजात

कानपुर, जागरण संवाददाता: आदमखोर बाघ को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन की ओर से परमिट इश्यू किय

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 11:49 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 11:49 PM (IST)
इनका शौक दिलाता आतंक से निजात

कानपुर, जागरण संवाददाता: आदमखोर बाघ को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन की ओर से परमिट इश्यू किया जाता है। पूरे भारत में करीब 10-12 लोगों का पैनल है, जो इन्हे मार सकता है। इसी तरह के संकट में अपने शौक का बखूबी उपयोग कर बाघ को मारने का काम करते हैं सिविल लाइंस निवासी नवाब साद-बिन-आसिफ। उनका कहना है अगर आपको शिकार का शौक है तो इसके लिए अपने दिल को मजबूत रखना होगा। खासतौर से जब आप बाघ जैसे खतरनाक और आदमखोर को खत्म करने का शौक रखते हों। आसिफ को बीते जुलाई माह में ही उत्तराखंड सरकार की ओर से अल्मोड़ा में एक आदमखोर बाघ को मारने का परमिट इश्यू किया गया था। आसिफ वहां पहुंचे और अपने बेस्ट 'नेकशॉट' से उसे मार गिराया। उन्हें आदमखोर जानवरों को खत्म करने का एक्सपर्ट माना जाता है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें आदमखोर बाघ को खत्म करने के लिए कई बार आमंत्रित किया। वह अल्मोड़ा, कीर्तिनगर, भटौली (पौढ़ी-गढ़वाल), लैंसडाउन समेत कई जगहों पर आदमखोर बाघ को मार चुके हैं। बोले इस शौक के सफर की शुरूआत 2004 से हुई थी। एक यात्रा के दौरान गढ़वाल में उन्होंने देखा था कि एक स्कूली बच्चे को घात लगाकर बाघ ने खा लिया था फिर उनके परिजनों की बदहाली उनसे नहीं देखी गई। आसिफ ने उस आदमखोर बाघ को मारने का मन बनाया। बोले 16 दिन लगे थे उसे ढेर करने में। कहते हैं फिर इस शौक ने जुनून का रूप ले लिया। वैसे आसिफ व्यवसायी हैं और शेरकोट (बिजनौर) में उनकी रियासत है। उन्हें अगर मौका मिल जाए तो गोली से उस पर 'नेकशाट' लगाते हैं और उसे गिरा देते हैं। वह अपना शौक विदेश में जाकर पूरा करते हैं।

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चाल को तलाशना सबसे टेढ़ा काम: आसिफ कहते हैं कि बाघ की चाल को तलाशना सबसे मुश्किल काम होता है। यह तय करना भी मुश्किल है कि अगर वह आज आसपास दिख रहा है तो कल कहां होगा। अगर उसे आपकी भनक लग गई तो अटैक जरूर करेगा।

गर्मियों में चुनते शाम का समय: बाघ गर्मियों में शाम 6 से रात 10 बजे के बीच ही जंगल से बाहर निकलते हैं। उस समय उन्हें शूट करना आसान होता है। आदमखोर लेपर्ड या टाइगर को शूट करने में एक लाख तक खर्च आता है।

विशिष्ट निशानेबाज की कैटेगरी में:

आसिफ विशिष्ट निशानेबाज की कैटेगरी को क्वालीफाई करते हैं। साथ ही वह यूपी स्टेट राइफल एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी भी हैं। उनके बेटे उमर और बेटी फाजिहा भी शूटिंग की ट्रेनिंग ले रही है।


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