Move to Jagran APP

आई एम नॉट ओल्ड मैन....

अंजनी निगम, कानपुर .. आई एम नॉट ओल्ड मैन, आई एम यंग लाइक यू ... पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम

By Edited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 01:42 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 01:42 AM (IST)
आई एम नॉट ओल्ड मैन....

अंजनी निगम, कानपुर

prime article banner

.. आई एम नॉट ओल्ड मैन, आई एम यंग लाइक यू ... पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के यह शब्द याद करते हुए स्नातक कर रही कृतिका मिश्रा भावुक हो गयी। आठ अक्टूबर 2010 को बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में उनके हाथों पुरस्कृत कृतिका को वह पल आज भी याद हैं। उन दिनों विद्यालय में कक्षा नौ की छात्रा होने के साथ ही वह छात्र संसद में प्रधानमंत्री भी थी। विद्यालय में आने पर परिचय देते ही उन्होंने प्यार से सिर पर हाथ फेरा था। उस स्पर्श की याद करते हुए कृतिका बताती है कि जब पुरस्कार लेने वह मंच पर पहुंची तो पूर्व राष्ट्रपति बोले अगेन पीएम.., यू विल बी पीएम ..। कृतिका ने कहा उनसे मिला आशीर्वाद जीवन भर मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन के प्रधानाचार्य डॉ. अंगद सिंह कहते हैं, कलाम साहब के संबोधन से बच्चों को बहुत ऊर्जा मिली थी। उन्होंने बच्चों से कहा लक्ष्य तय करो, और उसे पाने के लिए पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करो, सफलता निश्चित मिलेगी।

..................

डीएमएसआरडीई से रहा गहरा जुड़ाव

पूर्व राष्ट्रपति 1995 में पहली बार रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में आए थे। इसके बाद 1997 व 1998 में भी डीएमएसआरडीई में ही आए। वह यहां के निदेशक और वैज्ञानिकों से हमेशा पूछते थे कि व्हाट इज न्यू। 1998 में डॉ.कलाम ने वहां के वैज्ञानिकों से कहा कि देश में आर्थिक संसाधनों की कमी से एक साथ तो बदलाव नहीं आ सकते, किन्तु हमें कुछ 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' बनाने होंगे। इसी के तहत उन्होंने डीएमएसआरडीई को नैनोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में विशिष्टता के लिए प्रेरित किया।

कानपुर के पिछड़ने पर चिंता

राष्ट्रपति के रूप में 31 अक्टूबर 2004 को नगर में आये डॉ. कलाम ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपित प्रो.एसएस कटियार से सवाल किया कि 'कानपुर औद्योगिक राजधानी होकर भी नोएडा से पिछड़ा क्यों है?' उन्होंने कहा था कि कानपुर तो उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी है, यहाँ से सर्वाधिक राजस्व जाता है, फिर भी नोएडा से पिछड़ा क्यों है? राष्ट्रपति का मानना है कि रक्षा नक्शे में नगर का स्थान देश में ऊपर है, आईआईटी जैसा शिक्षण संस्थान है फिर पिछड़ना दुखद है।

सूचना प्रौद्योगिकी से रुकेंगी विमान दुर्घटनाएं

पहली नवंबर 2004 को वायुसेना के चकेरी स्थित बेस रिपेयर डिपो में आने पर डॉ. कलाम ने वायुसेना के विमानों में होने वाली दुर्घटनाओं व तकनीकी विफलताओं पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर वायुयानों में होने वाली उपकरणीय विफलताओं को कम करना चाहिए।

गौशाला के अनुसंधानों से अभिभूत

कानपुर गौशाला सोसाइटी के महामंत्री पुरुषोत्तम तोषनीवाल, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के महानिदेशक कमल टावरी और सुरेश गुप्ता ने 30 जून 2006 को दिल्ली में राष्ट्रपति से भेंट कर उन्हें गौशाला के अनुसंधान और उत्पाद दिखाए तो वह अभिभूत हो गये। डॉ. कलाम ने गोबर से कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बनाने की विधि एवं उत्पादन लागत के साथ बैल चालित जेनरेटर, ऊर्जा उत्पाद संयंत्र, ट्रैक्टर व नलकूप के बारे में विस्तार से पूछा और कहा कि यही वह मजबूत आधार हैं जिसे अपनाकर गांवों का कायाकल्प किया जा सकता है।

..............

बच्चों के बीच 'दोस्त' तो कभी 'सर'

16 नवंबर 2007 को डीएमएसआरडीई के अलावा वह सर पदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर भी पहुंचे। वहां पर बच्चों की प्रदर्शनी देखते हुए डॉ. कलाम ने बच्चों से कभी 'दोस्त' के रूप में हाल मिलाया तो कभी उन्हें 'सर' की तरह पढ़ाया भी।

नैनो टेक्नॉलाजी पर बने एक बच्ची का प्रोजेक्ट देखकर उन्होंने कहा कि वह यह विषय पढ़ाते भी है और अगर वह चाहे तो उनकी साइट पर विस्तार जानकारी पा सकती हैं।

बार बार पहुंचे आईआईटी

कभी रक्षा वैज्ञानिक तो कभी प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में वह आईआईटी कई बार पहुंचे। वह यहां के 22वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में 23 मई 1990 को आये और छात्रों को सफलता के मंत्र दिए। आईआईटी निदेशक प्रो. इंद्रानिल मन्ना ने बताया कि एरोस्पेस साइंस के छात्रों के प्रति उनका विशेष लगाव था। वह कई बार छात्रों से मिलने आ चुके थे। उन्होंने कई बार कैंपस विजिट भी की। उन्होंने बताया कि उनसे मिलने कई बार गये। हर बार वह आईआईटी कानपुर से निकलने वाली प्रतिभाओं के बारे में पूछते। वह कहते थे कि आईआईटी कानपुर के छात्रों में काफी क्षमता है। उनकी नजर में सफलता का मंत्र काम और समय प्रबंधन था। वह कहते थे कि कड़ी मेहनत के साथ नई सोच जरूरी है। आईआईटी प्रशासन के अनुसार एरोस्पेस इंजीनिय¨रग विभाग के प्रोफेसर एके घोष ने डा. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया है। 25 अक्टूबर 2012 में वह आईआईटी के स्टूडेंट जिमखाना के कार्यक्रम में पहुंचे। 14 फरवरी 2009 को दलहन अनुसंधान परिषद में पहुंच कर शोध करने की सलाह दी तो मर्सी मेमोरियल स्कूल में बच्चों को आशीर्वाद दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.