शासन की नाराजगी के बाद नगर आयुक्त को गनर
कानपुर, जागरण संवाददाता: नगर आयुक्त को अंतत: गनर उपलब्ध करा दिया गया। पहले नगर विकास विभाग के संयुक्
कानपुर, जागरण संवाददाता: नगर आयुक्त को अंतत: गनर उपलब्ध करा दिया गया। पहले नगर विकास विभाग के संयुक्त सचिव के पत्र को एसएसपी और जिलाधिकारी ने संज्ञान में नहीं लिया था, अब शासन में बैठे उच्चाधिकारियों ने नाराजगी जताई तो शनिवार को गनर उन्हें उपलब्ध करा दिया गया। हालांकि गनर नि:शुल्क दिया गया है या फिर शुल्क लेकर अभी तक इस संबंध में कोई पत्र नगर निगम को उपलब्ध नहीं भेजा गया है।
शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए एटूजेड को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन एटूजेड ने प्लांट बंद कर दिया और उसके अफसर यहां से चले गए। बिना किसी सूचना के प्लांट बंद करने और सफाई का काम समेटने पर नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह के आदेश पर नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी ने पनकी थाने में एटूजेड के एमडी और अन्य अफसरों के विरुद्ध तहरीर दी थी, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था। 18 दिन तक जब मुकदमा नहीं हुआ तो मंडलायुक्त की बैठक में नगर आयुक्त ने यह मुद्दा उठाया तो एसएसपी से उनकी नोकझोक हो गई। इस घटना के बाद नगर आयुक्त का गनर छीन लिया गया और दलील दी गई कि नगर आयुक्त को नि:शुल्क गनर देने का नियम नहीं है। इस लिए उन्हें यदि गनर लेना है तो वे शुल्क देकर गनर लें और इसके लिए जिला सुरक्षा समिति के यहां आवेदन करें। डीएम भी नियमों का हवाला देकर गनर छीने जाने के एसएसपी के फैसले का बचाव करती रहीं। हालांकि नगर आयुक्त ने गनर उपलब्ध कराने के लिए आवेदन नहीं किया। मंडलायुक्त ने मामले में हस्तक्षेप किया और गनर देने के लिए कहा, लेकिन उनके आदेश का भी पालन नहीं हुआ। शासन से भी पत्र आया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब शासन ने नाराजगी जताई तो बिना नगर आयुक्त से पूछे ही उन्हें गनर उपलब्ध करा दिया गया। नगर आयुक्त निजी सुरक्षागार्ड लेकर चल रहे थे। शनिवार दोपहर जब गनर कार्यालय पहुंचा और अफसरों को बताया कि उसे नगर आयुक्त की सुरक्षा में तैनात किया गया है तो इसकी सूचना नगर आयुक्त को दी गई। नगर आयुक्त ने अब निजी सुरक्षागार्ड को हटा दिया है।